लॉकडाउन के दौरान कई राज्यो में खुली शराब की दुकान, पियक्कड़ों ने सामाजिक दूरी और लॉकडाउन की धज्जियाँ उड़ाई
लॉकडाउन के तीसरे चरण में केंद्रीय सरकार ने कुछ आर्थिक गतिविधियों की इजाज़त दे दी है। शराब की दुकानों का खुलना इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। लॉकडाउन पीरियड के दौरान शराब की खरीद बिक्री पर रोक थी। शराब की दुकान खुलते ही देश के विभिन्न हिस्सों से विचलित करने की तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे है।
कहते है पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए। मेरे कई मित्र प्रोफेशनल शराबी है। उन्हें हर 2 दिन बाद शराब पीने की आदत है। एक ने तो ज्ञान बघराते हुए कहा शराब पीने से उनका स्वास्थ्य सही रहता है।
शराब की दुकान खुलने की खबर पा कर कई प्रोफेशनल पियक्कड़ों की खुशी का ठिकाना न रहा। अपना मनपसंद ब्रांड की शराब पाने के लिए शराबियों ने वाइन शॉप के बाहर भीड़ इक्कट्ठा करना शुरू कर दिया। कोरोना से बचने के लिए भीड़ लगाने की मनाही और सामाजिक दूरी के नियम का जमकर मखौल उड़ाया गया।
कई लोगो ने मास्क भी पहनना जरूरी नही समझा। ध्यान रहे भारत मे अभी भी कोरोना वायरस का खतरा टला नही है। अभी भी कई बेवकूफ लोग कोरोना वायरस जैसी महामारी को हल्के में ले रहे है। शराब की दुकानों पर भीड़ इतनी बढ़ गई कि पुलिस को भीड़ को टरकाने के लिए लाठी चार्ज करना पड़ा। भारत मे जहरीली शराब पीने से हर साल अनेको लोग मर जाते है।
तमाम बुराइयों के वाबजूद शराब केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए आमदनी का प्रमुख जरिया है। लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री पर रोक लगने से इंडस्ट्री को हर दिन 700 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा था। केंद्रीय और राज्य सरकारों को भी नुकसान हो रहा है।
मेरे निजी राय में कोरोना वायरस संकट के समय अक्ल के अंधे लोगो का शराब की दुकानों के आगे गधो की तरह भीड़ लगाना कोरोना योद्धाओं का अपमान है। पुलिस, सेना, डॉक्टर, और नर्सो ने अपने जान खतरे में डाल कर कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए काफी संघर्ष किया है। इन वेवकूफ शराबियों ने अपने जान की परवाह न करते हुए भीड़ इक्कट्ठा किया और जमकर ग़दर काटा। तभी तो कहते है 100 में 95 बेवकूफ, फिर भी मेरा भारत महान।
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