वेनेज़ुएला की सेना ने अमेरिकी घुसपैठ को किया नाकाम, अन्य लोगों सहित दो अमेरिकी घुसपैठिए गिरफ्तार

दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका पूरे विश्व में अपनी गुंडागर्दी के लिए बदनाम है. जो भी देश अमेरिका की मनमानी नीतियों का विरोध करता है, अमेरिका उसे अपना दुश्मन समझ कर उसके ऊपर आर्थिक प्रतिबंध और अन्य दंडात्मक कार्रवाई करता है. रूस, ईरान, नॉर्थ कोरिया, वेनेजुएला, क्यूबा जैसे कई देश अमेरिका की हिट लिस्ट में है. अमेरिका ने दुनिया के करीब 35 देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखा है. इन आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से उन देशों का विकास रुक गया है और करोड़ों लोग गरीबी के दलदल में जीने को विवश है.

मेरा मानना है कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा स्वार्थी देश है. यह अपने फायदे के लिए किसी भी देश को बर्बाद करने से बाज नहीं आता. अमेरिका की वजह से ही पूरी दुनिया में इस्लामिक आतंकवाद और विभिन्न देशों के बीच सीमा विवाद कायम है. अमेरिका पूरी दुनिया को हथियार बेच कर डॉलर कमाता है और अपने फायदे के बीच में रोड़ा बनने वाले किसी भी देश को दंडित करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है. इन दिनों वेनेज़ुएला अमेरिका की आंखों का कांटा बना हुआ है. आइए इस मामले की पूरी बात की छानबीन करते हैं.
 
वेनेजुएला का संक्षिप्त परिचय

वेनेज़ुएला लैटिन अमेरिका का एक छोटा सा देश है जो प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है. इस देश में भरपूर मात्रा में पेट्रोलियम प्रोडक्ट मिलता है. इसी प्रोडक्ट का निर्यात करके इस देश को काफी आमदनी होती हैं. इस देश के राजनेता मुख्य रूप से सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट विचारधारा के करीब हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस देश के पास पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स का सबसे बड़ा भंडार है. अमेरिका किसी भी तरह इस पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स के भंडार पर अपना कब्जा जमाना चाहता है ताकि उसे सस्ते पेट्रोल मिल सके. अमेरिका और वेनेजुएला में विवाद की जड़ यहीं से शुरू होती है.

कभी वेनेजुएला लेटिन अमेरिका का सबसे अमीर देश माना जाता था. इस देश के पूर्व राष्ट्रपति हुगो शावेज़ ने पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात करके काफी पैसे कमाए और उन पैसों को देश के कल्याणकारी योजनाओं में खर्च किए. उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए गए. वेनेजुएला की गलती यह है कि यह देश अपनी आमदनी के लिए पूरी तरीके से पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स के निर्यात पर निर्भर है. 

इस देश ने कभी भी पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए कोई भी ठोस प्रयास नहीं किया. पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी आने और अमेरिका के साथ अनबन होने से वेनेजुएला के बुरे दिन शुरू हो गए. हुगो शावेज़ के मरने के बाद 2013 में निकोला मादुरो इस देश के नए राष्ट्रपति बने. देश पर लगे अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों और राष्ट्रपति की मूर्खतापूर्ण आर्थिक नीतियों ने वेनेजुएला का बेड़ा गर्क कर दिया. 

वेनेजुएला की आमदनी का 95% भाग पेट्रोलियम प्रोडक्ट के निर्यात से प्राप्त होता था. 2014 में पेट्रोलियम प्रोडक्ट की कीमतों में कमी आने लगी जिससे इस देश की आमदनी कम होने लगी. देश के ऊपर लगे अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों ने पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स का निर्यात करना मुश्किल कर दिया. इसे पूरे वेनेजुएला में अव्यवस्था फैलने लगी. देश में मुद्रास्फीति दर काफी बढ़ गई और खाने-पीने के सामानों की कमी होने लगी. देश में बढ़ती बेरोजगारी से तंग आकर बहुत सारे नागरिकों ने देश को छोड़ दिया. एक अनुमान के अनुसार अब तक करीब 5000000 लोग वेनेजुएला छोड़ चुके हैं.

देश की आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए वेनेजुएला की सरकार ने राष्ट्रीय मुद्रा का अवमूल्यन कर दिया और एक नई क्रिप्टोकरंसी का उपयोग करना शुरू कर दिया. वेनेजुएला में मजदूरी दर 35% बढ़ा दिया गया जिसकी वजह से बाहरी इन्वेस्टर इस देश से दूर भागने लगे. अभी इस देश की हालत यह है कि देश में लूटपाट, मारकाट, दंगे, विरोध प्रदर्शन आम बात हो चुकी है.

वर्तमान स्थिति

वेनेज़ुएला में हाल में ही आम चुनाव हुए थे जिसमें राष्ट्रपति निकोला मादुरो को पूर्ण बहुमत मिली थी. लेकिन वेनेजुएला के विपक्ष ने इस चुनाव में धांधली का आरोप लगाया और चुनाव के रिजल्ट को मानने से इंकार कर दिया. बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तर्ज पर अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, और अन्य पश्चिमी देशों ने विपक्षी नेता जुआन गोइदो को वेनेजुएला का अंतिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया. 

अब अमेरिका अपने इस टट्टू के साथ मिलकर वेनेजुएला सरकार की सत्ता को पलटने में लगा हुआ है. विपक्षी नेता विदेशी ताकतों के साथ मिलकर राष्ट्रपति की सत्ता को पलटने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति पर ड्रोन हमले हुए जिसमें वह बाल-बाल बच गए. 

अमेरिका ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति पर नारको टेररिज्म का आरोप लगाते हुए उसकी गिरफ्तारी लायक सूचना देने पर डेढ़ करोड़ अमेरिकी डॉलर इनाम देने की घोषणा की है। अमेरिका किसी भी तरह वेनेज़ुएला के वर्तमान राष्ट्रपति को सत्ता से हटाना चाहता है ताकि अपने पिट्ठू की मदद से इस प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर देश मे कठपुतली सरकार बना कर इसकी बहुमूल्य सम्पदा हो लूटा जा सके। 

अब खबर यह आ रही है कि अमेरिका की एक प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी सिल्वर क्रॉप द्वारा भेजे गए टट्टुओं ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति का अपहरण कर के उसे अमेरिका ले जाने के लिए समुन्द्र के रास्ते से देश मे घुसपैठ किया जिसे वहाँ की सेना ने नाकाम कर दिया है। घुसपैठियों की कुल संख्या 60 बताई जा रही है। 

इसमें से करीब 8 लोग एनकाउंटर में वेनेज़ुएला की सेना द्वारा मारे जा चुके है और बाकी लोगो को गिरफ्तार करके जेल की हवा खिलाई गई है। इन घुसपैठियों में 2 लोग अमेरिकी स्पेशल फ़ोर्स के पूर्व सदस्य है। वेनेजुएला की एक इंग्लिश मीडिया द्वारा जारी किए गए वीडियो में दोनो अमेरिकी घुसपैठिये अपने अपराध को स्वीकार कर रहे है। वेनेजुएला ने इन सबके ऊपर आतंकवाद का चार्ज लगा लगा के जेल भेज दिया है। 

अमेरिका इस मामले में अपनी संलिप्तता से साफ इनकार कर रहा है। इस मामले में वेनेजुएला के विपक्षी नेता पर भी संलिप्तता का आरोप लग रहा है जिससे वो इनकार कर रहे है। इस प्रकरण की वजह से पहले से ही खराब अमेरिका और वेनेजुएला के रिश्ते और खराब होने के आसार है। 


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