भारत मे बढ़ती आरजकता का सबूत है महाराष्ट्र में 2 साधुओं और उनके ड्राइवर का हिंसक भीड़ के हाथों मारा जाना
प्रिय पाठकगण
भारत मे आरजकता बढ़ती ही जा रही है। 1.3 बिलियन की बड़ी आबादी वाले देश मे लगभग हर दिन कोई न कोई अपराध होते रहता है। चाहे आप भारत के किसी भी राज्य में रहे, राजनीतिक गुंडागर्दी, बलात्कार, चोरी, डकैती, नशाखोरी, हत्या, सामूहिक हत्याकांड, लूटपाट, इत्यादि जैसी घटनाएँ आम बात है।
देश की आबादी बढ़ने के साथ साथ भारत मे अराजकता भी बढ़ते ही जा रहा है। हाल ही में महाराष्ट्र में करीब 200 लोगो की हिंसक भीड़ ने 2 साधुओं और उसके ड्राइवर को पीट-पीट कर मार डाला। मौके पर मौजूद पुलिस ने अपनी अकर्मण्यता का प्रदर्शन करते हुए अपने शरण मे आये साधु को सुरक्षा देने के बजाय हिंसक भीड़ के हवाले कर दिया। परिणामस्वरूप, खून के प्यासे जाहिल लोगो ने साधुओं की निर्मम हत्या कर डाली। इस घटना का पूरा विश्लेषण करते है।
भारत मे नेताओं को मुस्लिम तुष्टीकरण और सेकुलरिज्म की बीमारी है। आजादी के बाद से ही मुसलमानों का वोट प्राप्त करके सत्ता की मलाई चाटने के लिए भारत के कई दलों और राजनेताओं ने मुस्लिम समुदाय के नाजायज मांगो को पूरा किया है। परिणामस्वरूप आज पूरे देश मे आरजकता का माहौल है।
महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार सत्ता में है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास राज्य चलाने के लिए पर्याप्त राजनीतिक अनुभव नही है। केवल मुख्यमंत्री का पद प्राप्त करने के लिए बड़बोले उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर एनसीपी और कांग्रेस का हाथ थामा।
एनसीपी के ऊपर मुस्लिम तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते है। कांग्रेस शुरू से ही मुस्लिम समुदाय का तुष्टिकरण करते आई है। भ्रष्टाचार में तो कांग्रेसी नेताओं ने विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। जब किसी राज्य की बागडोर अनुभवहीन राजनेता के हाथ मे हो और वो नेता अपनी सत्ता कायम रखने के लिए भ्रष्ट नेताओं और पार्टीयो की दया पर निर्भर हो तो उस राज्य में अराजकता आने में देर नही लगती।
कांग्रेस और एनसीपी के सहयोग से मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उद्धव ठाकरे का टोन बदल गया है। राज्य में इस्लामिक गुंडागर्दी, लव जिहाद, मार कुटाई, लूटपाट के मामले बढ़ने लगे है। दोनो पार्टीयो के दवाब में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कुछ नही कर पा रहे है। परिणामस्वरूप महाराष्ट्र अराजकता की ओर बढ़ रहा है।
हमे प्राप्त जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र के पालघर इलाके में धर्म परिवर्तन का गोरखधंधा पूरे जोरशोर से चल रहे है। इस इलाके में रह रहे हिन्दुओ को मुसलमान और ईसाई बनने का काम चल रहा है। जो हिन्दू इस मामले में बाधक बन रहे है उसे बड़े ही सिस्टेमैटिक तरीके से टारगेट किया जा रहा है।
मेनस्ट्रीम मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार 200 लोगो की हिंसक भीड़ ने किसी अन्य साधु की अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए सूरत जा रहे 2 साधुओं और उसके ड्राइवर को चोर/बच्चा-चोर समझ कर मार डाला। उन साधुओं के पास लोकडौन पीरियड में यात्रा करने के लिए जरूरी इमरजेंसी पास था। लेकिन अभी तक किसी भी मीडिया वाले ने महाराष्ट्र सरकार से ये पूछने की हिम्मत नही की है कि लोकडौन के बावजूद 200 लोगो की भीड़ कैसे जमा हो गई? इस पूरे घटनाक्रम में सुनियोजित साजिश की बू आ रही है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके एक वीडियो में ये साफ साफ देखा जा सकता है कि एक 70 वर्षीय साधु पुलिस से हिंसक भीड़ से अपनी जान बचाने के लिए गुहार लगता है। लेकिन पुलिस वाले ने अपनी अकर्मण्यता को प्रदर्शन करते हुए साधु को सुरक्षा देने के बजाय उसे हिंसक भीड़ के हवाले कर डाला। कुछ मीडिया वाले इस घटना के बारे में गलत रिपोर्टिंग कर रहे है.
भारतीय पुलिस दुनिया की सबसे भ्रष्ट और निक्कमी पुलिस संस्था में से एक है। पुलिस का हर अफसर ताकतवर नेताओ के तलवे चाटने में व्यस्त रहता है ताकि उन्हें भ्रष्टाचार करने का आशीर्वाद मिलता रहे। भारतीय पुलिस आम पब्लिक के मामले दर्ज करने में आनाकानी करती है। अगर भारत के किसी भी राज्य में आपका मोबाइल चोरी हो जाये तो पुलिस वाले उसकी FIR दर्ज करने के लिए तैयार नही होते।
अगर FIR दर्ज हो भी जाये तो उसपर कोई कार्यवाही नही होती। लेकिन यदि ताक़तवर नेताओं का कोई सामान चोरी हो जाये तो पुलिस उसे तुरंत ढूंढ निकालती है और अपराधी पकड़े भी जाते है। भारतीय पुलिस के अफ़सर गुंडो, सड़क किनारे ठेला लगाकर समान बेचने वाले छोटे व्यापारियों, रिक्शा चालको, चकलाघरों से हफ्ता वसूली करने में माहिर होते है। आम भारतीयों की नजर में पुलिस की छवि गुंडे जैसी होती है।
तो आप कैसे समझते है कि संकट में फसने पर भारतीय पुलिस आपकी मदद करेगी? आम भारतीय अपनी सुरक्षा के लिए भ्रष्ट पुलिस पर भरोसा न करे।
भारतीय मीडिया ने आशा के अनुरूप सबसे पहले इस मामलों को दबाने की भरपूर कोशिश की। सोशल मीडिया में मामले का वीडियो वायरल होने और हर तरफ किरकिरी होने के बाद महाराष्ट्र सरकार की सेक्युलर लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी हरकत में आई और करीब 100 लोगो को गिरफ्तार किया गया है। किसी मुस्लिम के मारे जाने पर जोर जोर से भौकने वाले सारे सेक्युलर बुद्धिजीवी और पत्रकारों ने अभी तक इस मामले में मौन धारण कर रखा है। राज्य सरकार पर लोगो के अविश्वास का आलम ये है कि इस मामले की जांच सीबीआई और NIA से कराने की मांग की जा रही है। सेकुलरिज्म जिंदाबाद।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें