अभिनेता सोनू सूद की बढ़ती वाहवाही से चिढ़े स्वघोषित सेक्युलर राजनेता
भारतीय फिल्मों में मुख्य रूप से विलेन का किरदार निभाने वाले अभिनेता इन दिनों मीडिया लाइम लाइट में है। कोरोना संकट के दौरान जब देश की केंद्रीय और राज्य सरकारों ने गरीब लोगों और प्रवासी मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया तब सोनू सूद ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए अपने दम प्रवासी मजदूरों और लोगो को उनके गृह राज्य वापस भेजने में मदद की। इसी वजह से यह अभिनेता लोगो की आंखों का तारा बना हुआ और चारो ओर इसकी दिलेरी की प्रशंसा हो रही है। लेकिन यह बात कुछ निक्कम्मे लोगो और राजनेताओ को पच नही रही है।
अच्छे कामो के लिए सोनू सूद की तारीफ करने के बजाए स्वघोषित सेक्युलर राजनीतिक पार्टियों के समर्थक और प्रचारक इस अभिनेता को "बीजेपी का एजेंट" बता रहे है। इसी कड़ी में शिवसेना के बड़बोले नेता संजय राउत ने अपनी बेवकूफी का परिचय देते हुए सोनू सूद की आलोचना कर डाली।
शिवसेना का निर्माण दिवंगत नेता बालासाहेब ठाकरे ने किया था। उनके देहात के बाद ये पार्टी दोफाड़ हो गई। राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बना ली। शिवसेना की छवि एक आक्रमण और अनावश्यक रूप से शोर मचाने वाली पार्टी की रही है। बीजेपी के साथ गठबंधन करके शिवसेना ने महाराष्ट्र में काफी दिनों तक सत्ता की मलाई चखी। आये दिन बेवकूफी भरे बयान देना शिवसेना के नेताओ के लिए आम बात है। मुख्यमंत्री पद पाने की लालच में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से अपना पुराना गठबंधन तोडकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिल कर गठबंधन की सरकार बना ली। तभी से महाराष्ट्र के सितारें गर्दिश में चल रहे है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पर्याप्त राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव नही है। इसका असर राज्य की कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है। कभी हिन्दू धर्म के हितों की वकालत करने वाले उद्धव ठाकरे कांग्रेस और एनसीपी के चक्कर मे पड़ के सेक्युलर बन गए है। फलस्वरूप राज्य से नकारात्मक खबरों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। शिवसेना की आलोचना करने वालो की कुटाई हो रही और उनके ऊपर FIR दर्ज हो रहे है। महाराष्ट्र में हिन्दू साधुओ की हत्याओं और लव जिहाद का सिलसिला शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में महाराष्ट्र के लोग और अराजकता झेलने के लिए तैयार हो जाये।
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