दिल्ली के क्रांतिकारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब भिखमंगी की राह पर, केंद्र से मांगी 5000 करोड़ रुपये की खैरात
मेनस्ट्रीम मीडिया में आई खबरों के अनुसार दिल्ली के क्रांतिकारी और बड़बोले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फण्ड की कमी का रोना रोते हुए केंद्र सरकार से तत्काल 5000 करोड़ रुपये की मदद मांगी है। दिल्ली सरकार की तर्कों के अनुसार कोरोना वायरस की महामारी और लगातार हो रही तालाबंदी की वजह से सरकार के राजस्व में भारी कमी आई है। आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया के अनुसार अगर केंद्र सरकार से तत्काल 5000 करोड़ रुपये नही मिले तो दिल्ली सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन नही दे पाएगी। इसे ही भिखमंगी बोला जाता है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और इनकी राजनीतिक पार्टी भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना आंदोलन की पैदावार है। अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान लोगो ने देखा कि कैसे अरविंद केजरीवाल भारत की राजनीति में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार पर गला फाड़ते और चीखते थे। केजरीवाल और इनकी गैंग केवल अपने आप को ईमानदार और राजनीतिक विरोधियों को चोर, बेईमान, भ्रष्ट, और कपटी कहा करते थे। इन्होंने लोगो से वायदे किया कि अगर वो सत्त्ता में आये यो नए तरीके की राजनीति का शिलान्यास करेंगे।
भ्रष्टाचार, VIP कल्चर, कालाबाजारी, इत्यादि को जड़ से खत्म किया जाएगा। केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से फ्री वाई फाई, पानी, सस्ती बिजली, 20 नए स्कूल और कॉलेज, 15 लाख CCTV कैमरे, महिलाओं की सुरक्षा, भ्रष्टाचार की समाप्ति, लोकपाल बिल लाने जैसे लोकलुभावन वायदे किये। कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार से तंग आ चुकी दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए वोट दिया। लेकिन वो बहुमत प्राप्त नही कर पाए। सत्ता की मलाई चाटने के लिए केजरीवाल ने भ्रष्ट कांग्रेस के साथ गठजोड़ करके दिल्ली राज्य के मुख्यमंत्री बन बैठे।
मुख्यमंत्री बनने के बाद इन्होंने तानाशाही शुरू कर दी। लगभग हर दिन मुख्यमंत्री, इनके मंत्री और आम आदमी के बिगडैल कार्यकर्ता लोग दिल्ली में अराजकता फैलाने लगे। अपने पहले कार्यकाल के मैनिफेस्टो में किये गए वायदे को पूरा करने के लिए ठोस उपाय करने के बजाए हर मुद्दे पर केंद्रीय सरकार से कुश्ती खेलने लगे। केजरीवाल की तानाशाही से तंग आकर प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास, अलका लांबा, अंजली दमानिया, योगेंद्र यादव, साजिया इल्मी, कपिल मिश्रा, आशुतोष जैसे कई धाकड़ नेताओ ने आम आदमी पार्टी को छोड़ दिया। पार्टी में केवल वही लोग बच गए जो अरविंद केजरीवाल की भक्ति करते है।
अपने पहले कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अरविंद केजरीवाल अति आत्म-विश्वास के शिकार हो गए। उन्हें लगा वो जनता के बीच मे इतने लोकप्रिय हो चुके हैं कि आराम से भारत के प्रधानमंत्री बन सकते है। आम आदमी पार्टी ने बिना किसी तैयारी के देशभर के करीब 400 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए।
खुद केजरीवाल दिल्ली सरकार को भंग करके बनारस से BJP से प्रधानमंत्री पद के तगड़े उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े हुए। भारतीय मीडिया के बिकाऊ पत्रकारो और मीडिया संस्थानों ने अरविंद केजरीवाल के पक्ष में माहौल बनाने की पूरी कोशिश की। लेकिन केजरीवाल नरेन्द्र मोदी से बुरी तरह से हार गए।
केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी एग्जिट पोल को झूठा साबित करते हुए बम्पर जीत हासिल की। दुबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद केजरीवाल का एक ही काम था लगभग हर दिन नई नौटंकी करना। वो दिल्ली की जनता से किये गए अपने वायदे पूरे करने के बजाए सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर बीजेपी, आरएसएस और मुख्य रूप से प्रधानमंत्री के खिलाफ बकवास करते रहे। अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान केजरीवाल ने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ बिना किसी सबूत के अनर्गल आरोप लगाए, बेहिसाब भ्रष्टाचार किया और जमकर अराजकता फैलाई।
इन्होंने करदाताओं के पैसों की बंदरबांट की। केजरीवाल की इमेज चमकाने के लिए सरकारी पैसों से विभिन्न मीडिया संस्थानों को करोड़ो अरबो रुपये विज्ञापन दिया गया। मस्जिद में इमामो की तनख्वाह में बढ़ोतरी की कई। कई तरह की मुफ्तखोरी वालो योजनाओं को फण्ड दिया गया। खुद अरविंद केजरीवाल और इनके मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त रहे। आम आदमी पार्टी के कई नेता कम समय मे ही करोड़पति बन गए।
केजरीवाल ने कई नेताओं पर गंभीर आरोप लगा कर मानहानि के मुकदमों के दौरान फेके गए थूक चाटने की तर्ज पर अपने राजनीतिक राजनीतिक विरोधियों से लिखित में माफी मांगी ताकि जेल की हवा न खानी पड़े। दिल्ली में राज करने के दौरान केजरीवाल ने अन्य राज्यो में भी चुनाव जीतने की कोशिश की, लेकिन उसमें असफलता ही हाथ लगी।
दिल्ली के नौटंकीबाज केजरीवाल हर समय जनता को मुफ्त सुविधाएं उपलब्ध कराने की वकालत करते है लेकिन उसके लिए फण्ड कहा से आएगा इसका कोई हिसाब नही बताते है। कहते है मुफ्त की स्कीम देश की आर्थिक व्यस्था को तबाह कर देती है और लोगो को निककम्मा बनाती हैं। मुफ्तखोरी की योजनाओं के संचालन की वजह से दिल्ली जैसे अति विकसित और संपन्न राज्य का भी बजट बिगड़ गया है।
मुझे सबसे बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब मुफ्त का माल खाने की आदी हो चुकी दिल्ली के वेवकूफ मतदाताओ ने फिर से केजरीवाल को गद्दी पर बैठा दिया। जब केजरीवाल ने देखा कि बिना काम किये हुए ही दिल्ली की जनता ने उसे सत्ता की चाभी दे दी हैं तो अब काम करने की क्या जरूरत है। फलस्वरूप केजरीवाल और इनकी गैंग दिल्ली को दोनों हाथों से लूटने में लगे हुए है और दिल्ली की छवि एक अराजक राज्य की बन चुकी है।
मैं दिल्ली में रहता हूँ। यह राज्य भारत का सबसे प्रदूषित जगह है। फिलहाल इस राज्य में अराजकता का आलम है। दिल्ली में CAA और NRC के विरुद्ध जेहादी आबादी का शाहीन बाग का हिसक प्रदर्शन को आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता मनीष सिसोदिया अपना समर्थन दे चुके है। हमने देखा कि देशद्रोही जिहादी आबादी ने विदेशी फंडिंग और राजनीतिक समर्थन मिलने की वजह से अपनी औरतो और बच्चों को सड़क पर बैठा कर दिल्ली और नोएडा के बीच आवागमन को काफी दिनों तक ठप्प किया, कठिन सवाल पूछ रहे पत्रकारो के साथ अभद्रता की, बिज़नेस कम्युनिटी को नुकसान पहुचाया और आम जनता को परेशान किया। किसी से न डरने वाले मुसलमानों ने कोरोना वायरस संक्रमण से डरकर शाहीन बाग में मुजरा कर रही अपनी औरतो को वापस बुला लिया। दिल्ली में होने वाले हिन्दू विरोधी दंगो में केजरीवाल की पार्टी के एक मुस्लिम नेता ताहिर हुसैन का नाम आया जो आजकल जेल की हवा खा रहे है।
अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार विरोधी ड्रामा करते करते खुद भ्रष्टाचार फ्रेंडली राजनेता बन चुके है। हिंदी न्यूज़ पोर्टल न्यूज़लूज़ के अनुसार केजरीवाल जनता और कारोबारी समुदाय से रंगदारी टैक्स वसूल रहे हैं। एक डॉक्टर और वाटर टैंकर व्यपारी को अवैध रकम देने के लिए धमकाने के मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक प्रकाश जारवाल को गिरफ्तार कर जेल की हवा खिलाई गई। आरोप के अनुसार विधायक ने एक मोटी रकम के लिए उस डॉक्टर को धमकाया था जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली।
केजरीवाल के राज में दिल्ली में अराजकता का आलम है। हमने देखा कि केजरीवाल और इनका गैंग दिल्ली में बड़े ही सुनियोजित तरीके से रोहिग्या मुसलमानों को करोड़ों रपए की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके बसा रहा है। केजरीवाल की अकर्मण्यता की वजह से दिल्ली में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है और राज्य के कई इलाके लगातार रेड जोन में बने हुए है। अस्पतालों में काम कर रहे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के लिए सुविधा का अभाव है। दिल्ली में कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामलों की वजह से लाशो का ढेर लग गया है और उसको दफनाने या जलाने के लिए जमीन की खोज की जा रही है। केजरीवाल सरकार पर कोरोना वायरस से संबंधित आंकड़े छुपाने के भी आरोप लग रहे है।
कोरोना संक्रमण और लौकडाउन के दौरान केजरीवाल सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों के सुख सुविधा का पूरा ख्याल रखा लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूरों को बसों द्वारा उत्तर प्रदेश की सीमा पर छोड़ दिया ताकि भारत मे कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़े और लाशो के ढेर लग जाये। मजे की बात है कि केजरीवाल ने प्रवासी मजदूरों को बिहार भेजने के एवज में बिहार सरकार को बिल भेजा।
केजरीवाल एक बेवकूफ, धूर्त, भ्रष्ट और मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले अराजक नेता है जिनका एक ही काम है लोगो का बेवकूफ बनाना। भ्रष्टाचार से अर्जित काले धन का एक बहुत बड़ा हिस्सा वो मीडिया संस्थानों पर उड़ाते है। तभी करोड़ों रुपये के विज्ञापन मिलने के लालच में भारतीय मीडिया के बहुत सारे संस्थान केजरीवाल की आलोचना करने से बचते है। क्रिटिकल मीडिया कवरेज के अभाव में केजरीवाल निरंकुश हो गए है और मूर्खतापूर्ण हरकते करते रहते है। टाइम्स ऑफ इंडिया, नवभारत टाइम्स, ABP न्यूज़, NDTV इंडिया, द हिन्दू, द वायर, द इंडियन एक्सप्रेस, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, दक्कन क्रॉनिकल, आजतक, हिदुस्तान टाइम्स, जनसत्ता, नेशनल हेराल्ड, इंडिया टुडे जैसे कई मीडिया संस्थान केजरीवाल चालीसा गाते रहते है। तो दिल्ली वाले अगले 5 साल तक अराजकता झेलने के लिए तैयार रहे.
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