पूरी दुनिया से गुंडागर्दी करता कमीना देश चीन
इन दिनों अमेरिका बुरे दौर से गुजर रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से अबतक 1 लाख से ज्यादा अमेरिकी नागरिक मारे जा चुके है और कई लाख लोग संक्रमित है। लौकडाउन लगने की वजह से बड़ी संख्या में अमेरिकी नागरिक बेरोजगार हो गए। बहुत सारे लोगो ने बेरोजगारों को मिलने वाली सुविधाओं के आवेदन किया है। कई अमेरिकी कंपनियों ने अपने आप को दिवालिया घोषित कर दिया है। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने में संघीय सरकार की असफलता के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना बढ़ती ही जा रही है। अमेरिकी सरकार ने देश के आम नागरिकों और उद्योग समुदाय को राहत देने के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है।
अमेरिका इन दिनों एक और समस्या से जूझ रहा है। अमेरिकी पुलिस के हाथों एक अश्वेत अमेरिकी नागरिक के मारे जाने पर लोगो का गुस्सा लावा बन कर फुट पड़ा है। आये दिन अश्वेत लोगो के खिलाफ होने वाले दुर्भावनापूर्ण व्यवहार से तंग आकर लोग विभिन्न जगहों पर पुलिस और अमेरिकी सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन कर रहे है। अमेरिका के करीब 40 शहरों में अव्यवस्था का आलम है। शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा विरोध प्रदर्शन अब हिंसक हो चला है।
भीड़ में घुसे असामाजिक तत्व दुकानों में लूटपाट, आगजनी, गोलीबारी, तोडफ़ोड़ जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे है। कई शहरों में हिंसक झड़प और विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए नेशनल गार्ड और अमेरिकी सेना की तैनाती चल रही है। अमेरिकी न्यूज़ वेबसाइट न्यूज़वीक की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में हो रहे हिंसक घटनाओं में चीन का हाथ है। इस बात की आशंका तब और बढ़ गई जब चीनी सरकार ने नियंत्रण वाले ऑनलाइन अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अमेरिका में हो रही अव्यवस्था पर अपनी खुशी का इजहार किया और इसे हॉन्गकॉन्ग में लोकतंत्र को कायम रखने के लिए चल रहे आंदोलन से इसकी बेमेल तुलना की।
जैसे जैसे पूरी दुनिया मे कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ते जा रहा है वैसे वैसे चीन के खिलाफ माहौल बन रहा है। इन दिनों अमेरिका और चीन के रिश्ते कुछ ज्यादा ही खराब चल रहे है। हाल ही में अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन से अलग हो गया और इसे मिलने वाली अमेरिकी फंडिंग रोक दी गई है। अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर कोरोना वायरस के मसले पर चीन का पक्ष लेने और गुमराह करने का आरोप लगाया। अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का गुस्सा यही नही रुका।
अमेरिका ने चीन पर अल्पसंख्यक मुसलमान समुदाय के दमन का आरोप लगाते हुए 34 चीनी कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया। अमेरिकी कंपनियों को इस बात के निर्देश दिए गए कि वो चीन की विवादित टेलीकॉम कंपनी हुआवे को अमेरिका में बने चिप निर्यात न करे। अमेरिका इस कंपनी को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का एक उपक्रम मान कर इसके ऊपर ट्रेड सीक्रेट चोरी करने, जासूसी करने और उपभोक्ताओं का डेटा चीनी सरकार के साथ शेयर करने का आरोप लगाते रहता है। कंपनी के मालिक इस आरोप से इनकार करते है।
कनाडा की एक अदालत ने हुआवे के मालिक की बेटी के अमेरिका प्रत्यर्पण वाले मामले में केस को आगे चलाने की अनुमति दे दी है। इस निर्णय पर चीन खुश नही है। ब्रिटेन ने भी हुआवे से हुआ करार रद्द कर दिया है। साउथ चाइना मॉर्निंग की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका चीन को स्विफ्ट पेमेंट सिस्टम से अलग करने और इसके द्वारा विदेशी ट्रेड के लिए अमेरिकी डॉलर के इस्तेमाल पर रोक लगाने का विचार कर रहा है।
चीनी सरकार से जुड़े चीनी विद्यार्थियों का अमेरिका में प्रवेश बंद करने की कवायद भी चल रही है। हॉंगकॉंग में चीन की कानूनी हस्तक्षेप से तंग आकर अमेरिका ने हॉंगकॉंग का स्पेशल स्टेटस रद्द कर दिया है। इस मसले पर ब्रिटेन ने भी चीन को चेतावनी दी है। अमेरिकी संसद में तिब्बत को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव आया है। अमेरिका और चीन के बीच विमान सेवा रद्द होने जा रही है चीन की गुंडागर्दी का सामना करने के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया नजदीक आ रहे है।
अगर आप गौर से देखे तो चीन इस वक़्त कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया के गुस्से का सामना कर रहा है। पूरी दुनिया मे अपने विरुद्ध जनमत तैयार होता देख चीन खुलेआम गुंडागर्दी पर उतर आया है। चीन ने ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था को तबाह करने की धमकी दी है। इसके अलावे वो भारत, जापान और अन्य पड़ोसी देशों को धमकाने का काम शुरू कर दिया है।
चीन भारत से फिर से युद्ध करके भारतीय राज्य लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम को निगलना चाहता है। लेकिन भारत की सैन्य कार्यवाही से डर कर चुप्पी साध कर चोरी छुपे सीमा पर सैनिको और हथियारों का जमावड़ा बढ़ा रहा है। चीन पहले ही तिब्बत, अक्साई चीन तथा जम्मू कश्मीर के कुछ भाग पर कब्जा जमा के बैठा हुआ है।
चीन में शासन कर रही कम्युनिस्ट पार्टी राजनीतिक गुंडों का एक संघ है जिसने चीन जैसे विशाल देश पर कब्जा कर रखा है। चीन अपने नागरिकों को शोषण करके ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। चीन सस्ते और घटिया किस्म के सामानों का निर्यात करके अमीर बना हुआ है। चीन दूसरे देश की टेक्नोलॉजी और ट्रेड सीक्रेट की चोरी करके अपने देश मे सस्ता उत्पाद बना कर दूसरे को बेचता है।
चीन ने भले ही काफी आर्थिक विकास कर लिया हो लेकिन मेरी राय में वो नरक ही है। चीन के बेवकूफ लोगो की खान-पान की आदतें काफी गंदी है। चीनी लोग किसी भी जानवर को मार कर खा जाते है। चीन में गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर, और अन्य लोकप्रिय वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा हुआ है और मीडिया पर चीनी सरकार का नियंत्रण है।
चीन में सरकार की आलोचना करना मना है चाहे उनकी नीतियां गलत ही क्यो न हो। सरकार की आलोचना करने वाले चीनी लोग रहस्यमय ढंग से लापता हो जाते है या उनको मौत के घाट उतार दिया जाता है। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद चीन दुनिया पर राज करना चाहता है। अमेरिका इस राह में उसकी सबसे बड़ी रुकावट है। इसलिए चीन ने जानबूझ कर कोरोना वायरस पूरे विश्व मे फैलाया ताकि विश्व की अर्थव्यवस्था को तबाह किया जा सके और चीन निर्मित उत्पादों को पूरी दुनिया मे बेच कर बेहिसाब दौलत कमाई जा सके।
पूरी दुनिया मे चीन की छवि एक गुंडे राष्ट्र की है। विश्व के प्रमुख संस्थानों, मीडिया घरानों और देशो में चीन घुसपैठ कर चुका है। पूरी दुनिया मे अपनी छवि चमकाने के लिए चीन ने ग्लोबल टाइम्स, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, CGTN, शिन्हुआ, चाइना डेली, जैसे प्रोपेगैंडा मीडिया संस्थान खोल रखे है। ये 24 घंटे चीन की सरकारी नीतियों का प्रचार करते रहते है और लोगो को भ्रामक जानकारी दे कर लोगो को गुमराह करते है। इसके अलावे चीन विश्व के प्रभावशाली मीडिया संस्थानों को अपने फेवर में प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए हर साल मोटी रकम देता है।
फिलहाल कोरोना वायरस के संक्रमण में चीन की संदिग्ध भूमिका और चीन के खिलाफ बढ़ते गुस्से को देखते हुए विश्व के प्रमुख मीडिया संस्थानों ने चीन के हितों को बढ़ावा देने वाली खबरों को छापना बंद कर दिया है। चीन ने BRI प्रोजेक्ट के तहत पूरी दुनिया के गरीब देशों को एक दूसरे से कनेक्ट करने और विकास का लॉलीपॉप दिखा कर कर्ज के जाल में फसा रखा है।
विश्व के कई देश BRI प्रोजेक्ट का हिस्सा बन के चीनी कर्ज के में डूब चुके है। कर्ज न लौटने वाले देशों को महत्वपूर्ण संपत्तियों को चीन अपने कब्जे में ले लेता है। अगर चीन से इस नापाक इरादों को न रोका गया तो पूरी दुनिया मे जैसे जैसे चीन का प्रभाव बढ़ेगा वैसे वैसे लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, इत्यादि खत्म होते जाएगा। हम दुनिया को चीन के चंगुल में जाते हुए नही देखना चाहते।
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