चीन के नए यार विवादित पत्रकार रविश कुमार

प्रिय पाठकगण

जैसे जैसे सारी दुनिया मे कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ने जा रहा है, वैसे वैसे विश्व के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान और राजनेताओं का गुस्सा चीन के खिलाफ बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना वायरस के मसले पर शुरू से ही चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर पूरी दुनिया को भ्रामक जानकारी देता आया है। 

चीन की इसी पालिसी के वजह से ही पूरी दुनिया मे कोरोना वायरस फैला, विभिन्न देशों में इस जानलेवा रोग के प्रसार को रोकने के लिए लोकडौन लगाना पड़ा, अर्थव्यवस्था ठप्प पड़ गई, करीब 1 लाख 85 हजार से ज्यादा लोग मारे गए, और करोड़ो लोग बेरोजगार हो गए।

अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति और प्रसार के संबंध में चीन से तीखे सवाल पूछने शुरू कर दिये है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस को "चीनी वायरस" की संज्ञा दी। 

उन्होंने कहा: अमेरिकी सरकार और खुफिया एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है। अगर ये पता चला कि कोरोना वायरस के उत्पादन और प्रसार में चीन का हाथ है तो चीन के लिए परिणाम अच्छा नही होगा। अमेरिकी सांसदों और कंपनियों ने देश की विभिन्न अदालतों में मुकदमे दायर करके चीन से हर्जाने की मांग की है। 

ब्रिटेन के कई सांसदों ने विवादित चीनी कंपनी Huawei को मिले 5G मोबाइल इंटरनेट कनेक्शन इंन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का ठेका रद्द करने और चीन के साथ संबंधों की समीक्षा करने के संकेत दिए है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने चीन पर कोरोना वायरस के बारे में जानकारी छुपाने के लिए आरोप लगाया। 

जर्मनी के एक ऑनलाइन टेबलायड(अखबार) ने कोरोना वायरस से देश को हुए नुकसान के बारे में आकलन करने के बाद चीन को 149 बिलियन यूरो का कंपनसेशन नोटिस(आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए एक पार्टी पर दूसरे पार्टी को भेजा गया लीगल नोटिस) भेजा। पूरी दुनिया मे चीन के खिलाफ जनमत तैयार हो रहा है और लोग इस कमीने देश से कोरोना वायरस के बारे में अधिक जानकारी मांग रहे है।

जब पूरी दुनिया चीन से कोरोना वायरस महामारी के मुद्दे पर सवाल कर रही है, NDTV इंडिया के विवादित पत्रकार रविश कुमार चीन के बचाव में कुतर्क कर रहे है। उन्होंने एक वीडियो जारी करके ये बताया कि विभिन्न सरकार कोरोना वायरस रोकने के संबंध में अपनी नाकामी छुपाने और लचर हेल्थकेयर सिस्टम पर पर्दा डालने के लिए चीन को दोष दे रहे है। कॉन्सपिरेसी थ्योरी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

रविश कुमार का विवादों से पुराना नाता रहा है। वो पत्रकार के रूप में एक खास पार्टी के राजनीतिक कार्यकर्ता है जिनका मुख्य उद्देश्य अपने राजनीतिक बापो की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाली न्यूज़ कंटेंट का चुनाव करना, तथ्यो के साथ छेड़खानी कारण और प्रोपेगैंडा फैलाना है। 

ये एक खास राजनीतिक दल की गोद मे बैठ कर राजनेताओ की दलाली करते है और अन्य मीडिया कर्मियों/संस्थानों को गोदी मीडिया की संख्या देते है। इन्हें लगता है हिन्दुओ, बीजेपी, आरएसएस और भारत को गरियाना ही पत्रकारिता है। हर दिन प्राइम टाइम में देश मे विभिन्न समस्याओं का उजागर करते है जिससे आम जनता को ये लगे कि वर्तमान में भारत मे कुछ भी अच्छा नही चल रहा है।

रविश कुमार भारत में तेजी से बढ़ रहे इस्लामिक आतंकवाद, लव जिहाद, स्वघोषित सेक्युलर नेताओ और पार्टीयो के विवादित कदम और भ्रष्टाचार, मुस्लिम गुंडागर्दी, जैसे मुद्दे पर बोलने से बचते है। ये केवल ऐसे ही न्यूज़ कंटेंट का चुनाव करते है जिसमें बीजेपी, आरएसएस, हिन्दुओ, और भारत की आलोचना की जा सकते। सोशल मीडिया में इन्हें कांग्रेस का दलाल और हिन्दू धर्म विरोधी कुंठित मानसिकता वाला इंसान बोला जाता है। 

इनके पक्षपातपूर्ण और भ्रामक खबरों से चिढ़कर कई लोग समय समय पर इस कांग्रेसी दलाल को भरपूर गाली देते है। इसी से तंग आकर इन्होंने ट्विटर छोड़ दिया। पत्रकार रोहित सरदाना ने भी एक बार जबाबी चिट्टी लिखकर रविश कुमार के पक्षपाती पत्रकारिता के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया। 

अपने खिलाफ पूरी दुनिया मे बढ़ रहे गुस्से को रोकने और पब्लिक का ध्यान बाटने के लिए चीन ने पूरी दुनिया मे प्रोपेगैंडा कैंपेन शुरू कर दिया है। रविश कुमार जैसे कांग्रेसी पत्रकार चीन के प्रोपेगैंडा नेटवर्क का हिस्सा है। इनका काम है चीन सरकार के खिलाफ बन रहे माहौल को रोकना और पब्लिक को सरकार के खिलाफ भड़काना। 

ये पहला मौका नही है जब रविश कुमार ने चीन के पक्ष में दलाली की हो। भारत में जब भी चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की मुहिम शुरू होती है, रवीश कुमार चीन के पक्ष में दलाली करने लग जाते है। उन्हें इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि चीन के आयातित सस्ते उत्पाद की वजह से कई भारतीय कंपनियों पर ताला लग चुका है, स्थानीय व्यपारियो का नुकसान होता है और लोग बेरोजगार होते है। चीन के घटिया उत्पादों के खिलाफ रविश कुमार कोई प्राइम टाइम करना जरूरी नही समझते। ऐसे दलाल मीडियाकर्मी से दूर रहने में ही भलाई है। जय हिन्द।

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