पालघर हत्याकांड मामले को उठाने पर पत्रकार दीपक चौरसिया को मिली धमकी

जब से महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की मिली जुली सरकार सत्ता में आई है तब से महाराष्ट्र से नकारात्मक खबरों का आना जारी है. कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के पालघर इलाके में बड़े ही सुनियोजित तरीके से दो साधुओं और उसके ड्राइवर की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी गई थी. शुरुआत में लोकल मीडिया और पुलिस ने मिलकर इस मामले को दबाने का काम किया. साधुओं की हत्या के दो दिन बाद सोशल मीडिया पर इस घटना से जुड़े हुए एक वीडियो वायरल होने के बाद कोहराम मच गया. लेकिन मजे की बात यह है कि भारत में असहिष्णुता का राग अलापने वाले मीडियाकर्मी, राजनेता और तथाकथित बुद्धिजीवी इस मामले पर चुप्पी साधे रहे. 

साधुओं की निर्मम हत्या पर जब रिपब्लिक टीवी के पत्रकार अर्णब गोस्वामी ने कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी से तीखे सवाल किया तो उस विदेशी महिला के पालतू गुंडे, राजनेता, चमचे पत्रकार, महाराष्ट्र पुलिस- सभी मिलकर अर्नब गोस्वामी पर अटैक करने लगे. कांग्रेस की विदेशी मूल की अध्यक्ष एंटोनियो माइनो के निर्देश पर पूरे देश में अर्णब गोस्वामी के खिलाफ करीब 200 एफ आई आर रजिस्टर किए गए ताकि उस पत्रकार को सबक सिखाया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति से प्रेरित उन सभी मामलो को रद्द कर दिया और महाराष्ट्र पुलिस को पत्रकार तथा रिपब्लिक टीवी को सुरक्षा देने का निर्देश दिया. 
न्यूज़ नेशन’ के कंसल्टिंग एडिटर दीपक चौरसिया 

इतना सब होने के बावजूद मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी से एक दूसरे मामले के संबंध में करीब 13 घंटे तक पूछताछ की. कांग्रेसी गुंडों की धमकियों से ना डरते हुए अर्णव गोस्वामी ने पालघर मामले के बारे में लगातार कवरेज करने का प्रण लिया है. पालघर मामले में महाराष्ट्र सरकार शुरू से ही ढुलमुल रवैया अपना रही है क्योंकि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर कांग्रेस का दबाव है. अभी तक इस मामले में करीब 100 लोग पकड़े गए हैं और 250 लोग फरार हैं. मामले की जांच जारी है. 

भारतीय मीडिया की समस्या यह है कि इसे विदेशों से पेट्रो डॉलर मिलता है. बहुत सारे भारतीय मीडिया चैनल और पत्रकार मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों से अनुदान प्राप्त करते हैं और उनके एजेंडे के अनुसार खबर चलाते हैं. भारत में कई मीडिया संस्थान कांग्रेसी नेताओं और उनके वैचारिक चमचो द्वारा संचालित है. इसमें कांग्रेस प्रशासित किसी भी राज्य में कोई भी घटना होने पर यह संस्थान हल्ला नहीं मचाते हैं. इसी तरह कांग्रेसी मीडिया कर्मी किसी अप्रिय घटना के बारे में तभी तक हल्ला मचाते है तब अपराधी हिन्दू समुदाय से हो और विक्टिम मुस्लिम हो। जब अपराधी मुस्लिम समुदाय का होता है और पीड़ित हिन्दू हो तो बिकाऊ मीडिया वाले इसकी मास रिपोर्टिंग करना जरूरी नही समझते। इसलिए भारतीय मीडिया को दुनिया का सबसे बड़ा भ्रष्ट मीडिया कहा जाता है.

समय बीतने के साथ-साथ पालगढ़ में साधुओं की हत्या कांड वाला मुद्दा भारतीय मीडिया के लाइमलाइट से गायब होते जा रहा है. लेकिन कुछ पत्रकार अभी भी इस मुद्दे को उठाकर महाराष्ट्र सरकार से कठिन सवाल कर रहे हैं और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं. हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने पालघर वाला मुद्दा उठाया था. इसके बाद से ही दीपक चौरसिया को धमकियां मिलनी शुरू हो गई है. उन्हें देश-विदेश से धमकी भरे कॉल और व्हाट्सएप मैसेज आ रहे हैं. जो भी पत्रकार पालघर मुद्दे पर बात कर रहा है उसे बड़े ही सिस्टमैटिक तरीके से धमकाया जा रहा है. दीपक चौरसिया ने धमकी से ना डरने की बात कही है. दीपक चौरसिया ने इस मामले में मामला दर्ज करवाया है। 


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