पाक अधिकृत कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान में बढ़ा तनाव, सिक्किम में भारतीय और चीनी सेना के बीच झड़प
ऐसे समय में जब सारी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए प्रयासरत है, इस्लामिक आतंकी देश पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने में लगा हुआ है. पाकिस्तान में चीनी वायरस के बढ़ते हुए मामले और उससे निपटने में सरकार तथा सेना की विफलता से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वार को तेज कर दिया है.
पाकिस्तान की तरफ से आए दिन लाइन ऑफ कंट्रोल पर बेवजह गोलीबारी हो रही है और जम्मू कश्मीर में इस्लामिक आतंकवादी हमलों में तेजी आई है. पिछले कुछ दिनों में कश्मीर में कई इस्लामिक आतंकवादी मारे गए हैं और आतंकवादियों का मुकाबला करने के दौरान भारतीय सेना की कई जवान भी शहीद हुए हैं. इन सब घटनाओं से भारत और पाकिस्तान के रिश्तो में तनाव बढ़ गया है.
कुछ दिन पहले पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने वहां की सरकार को पाक अधिकृत कश्मीर में चुनाव करवाने के निर्देश दिए हैं. इस खबर के फैलते हैं भारत काफी सक्रिय हो गया है. भारतीय सरकार ने नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग को समन करके अपना विरोध दर्ज कराया और पाक अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान में शामिल करने के किसी भी प्रयास का विरोध किया. भारत और पाकिस्तान दोनों कश्मीर को अपना अभिन्न अंग बताते हैं और इस राज्य को पूर्ण रूप से पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. फिलहाल दोनों देश इस राज्य के अलग-अलग हिस्से पर शासन कर रहे है.
हम सभी जानते हैं कि पाकिस्तान का जन्म 1947 में भारत विभाजन के बाद हुआ. आजादी के दौरान अंग्रेजों ने तत्कालीन रियासतों को अपनी पसंद के अनुसार भारत या पाकिस्तान में शामिल होने की छूट दी. जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राजा ने स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया. बस इसी बात का फायदा पाकिस्तान के जिहादी सेना ने उठाया और आजादी मिलने के तुरंत बाद मुस्लिम आतंकवादियों से इससे राज्य पर हमला करवा दिया. पाकिस्तानी हमले से बचने के लिए राजा ने हड़बड़ी में भारत में शामिल होने का एग्रीमेंट साइन कर दिया.
इस लड़ाई में दोनों तरफ के काफी लोग मारे गए हैं. पाकिस्तान तब तक जम्मू कश्मीर के बड़े भाग पर कब्जा जमा चुका था. भारतीय सेना लड़ाई में पाकिस्तान को धूल चटा रही थी तभी देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले गए जहां पर युद्ध विराम की घोषणा हुई और जम्मू कश्मीर का एक बड़ा भाग पाकिस्तान के कब्जे में ही रह गया.
बाद में भी पाकिस्तान के साथ कई युद्ध हुए लेकिन भारत में केंद्रीय सत्ता पर राज कर रही कांग्रेस कि सरकार ने पाक अधिकृत कश्मीर को भारत में शामिल करने का कोई प्रयास नहीं किया. इसे पाकिस्तान की हिम्मत बढ़ती चली गई. यही वजह है कि आजादी के बाद आज तक भारत में आज तक पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद का बढ़ावा दिया जाता रहा और भारत कि केंद्रीय सरकार ने कभी भी पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की नहीं सोची.
मोदी सरकार बनने के बाद पाकिस्तान हमेशा बैकफुट पर रहा है. देश की केंद्रीय सरकार की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद भारतीय सेना जम्मू कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद को जड़ से साफ करने में लगी हुई है और पाकिस्तान के हर दुःसाहस का मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है. नतीजा पाकिस्तान के हौसले पस्त है और पूरी दुनिया में उसे कोई पूछ नहीं रहा है.
पाकिस्तान द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर में आम चुनाव करवाए जाने का संकेत दिए जाने के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. मोदी सरकार ने पाकिस्तान को पाक अधिकृत खाली करने के निर्देश दिए हैं. भारतीय मौसम विभाग पाक अधिकृत कश्मीर के लिए भी वेदर बुलेटिन जारी करेगा. इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि भारत पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेने के लिए जल्द ही कोई बड़ी कार्रवाई करेगा और इसी वजह से पाकिस्तान में हड़कंप मचा हुआ है. पाकिस्तान की सेना ने भारत की सीमा पर अपनी चौकसी बढ़ा दी है.
चीन और पाकिस्तान दुनिया के 2 सबसे बड़े कमीने देश है जो ना तो खुद चैन से जीते हैं और न दूसरों को जीने देते हैं. भारत सरकार द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर पर आक्रमक रूख अपनाने से चीन बौखला गया है क्योंकि उसे लगता है अगर पाक अधिकृत कश्मीर अगर भारत में शामिल हो गया तो सिल्क रूट बनाने का उसका सपना अधूरा रह सकता है और अब तक पाकिस्तान में किया गया इन्वेस्टमेंट भी बेकार जा सकता है. भारत पाक अधिकृत कश्मीर को अपना अभिन्न अंग बताता है और इस क्षेत्र से गुजरने वाली चीनी परियोजना का विरोध करता है.
चीन प्राचीन काल से ही एक विस्तार वादी देश रहा है. फिलहाल इस देश की सीमा 16 देशों से लगती है और लगभग हर देश के साथ चीन का सीमा विवाद है. चीन अपने पड़ोसी देशों की जमीन पर अपना दावा जताता है. चीन का कहना है कि पूरा चीन सागर उसका है. चीन समय-समय पर जापान, कंबोडिया, वियतनाम, फिलीपींस, ताइवान, भारत जैसे देशों को धमकाते रहता है. चीन ने अपनी ताकत के बल पर तिब्बत पर जबरदस्ती कब्जा कर रखा है.
इसके अलावा चीन 1962 में भारत पर आक्रमण करके 90000 वर्ग मील का अक्साई चीन वाला भारतीय इलाका अपने कब्जे में ले चुका है. इसी तरह जम्मू कश्मीर राज्य का कुछ हिस्सा चीन के कब्जे में है जो उसे पाकिस्तान से मिला था. अब चीन की नजर भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम पर है. चीन इसे जबरदस्ती अपने देश में मिलाना चाहता है और समय-समय पर भारतीय सीमा में घुसपैठ करते रहता है.
एक ऐसे मौके पर जब भारत पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करना शुरू कर दिया है तभी चीन भारत को डिस्टर्ब करने की फिराक में है. भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार चीनी सेना ने हाल ही में भारतीय सीमा में घुसपैठ की जिससे दोनों सेनाओं में झड़प हो गई. इस झड़प में चीनी सेना के 7 और भारतीय सेना के 4 जवान घायल हो गए. बाद में दोनों पक्षों में बातचीत करके मामला शांत किया.
अतीत में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध से चीन ने खुद को अलग रखा है. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में अब तक चीन करीब 60 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट कर चुका है. इस कॉरिडोर के बन जाने पर चीन के लिए कम दूरी का व्यापार मार्ग खुल जायेगा जो उसके लिए काफी फायदेमंद रहेगा. ऐसी स्थिति में अगर भारत पाक अधिकृत कश्मीर को वापस लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध शुरू करता है तो उसे चीन से भी लड़ने के लिए तैयार रहना होगा क्योंकि चीन यह कभी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान में किया गया उसका इन्वेस्टमेंट डूब जाए. ऐसे में भारत को इस मामले में काफी सोच समझकर कदम उठाना चाहिए.
पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध शुरू करने से पहले आक्रमक अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की जरूरत है. भारत को पूरी दुनिया के देशों को यह समझाना जरूरत है कि चीन भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय विवाद में अपनी टांग अड़ा रहा है. वैसे ही भी चीनी वायरस के प्रचार और प्रसार में चीन की संदिग्ध भूमिका को लेकर पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ क्रोध बढ़ता ही जा रहा है. जब इस अंतरराष्ट्रीय महामारी का मामला खत्म होगा तब सारी दुनिया चीन से सवाल करेगी. भारत को पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ बने अंतरराष्ट्रीय माहौल का फायदा उठाना चाहिए.जब चीन दूसरे मामलों में उलझा रहेगा तो वह भारत और पाकिस्तान के बीच में शुरू होने वाले युद्ध में पाकिस्तान की तरफदारी नहीं कर पाएगा.
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