दुनिया में बढ़ती हुई ग्लोबल वार्मिंग की समस्या
मित्रों, इन दिनों दुनिया के विभिन्न भागों में अजीबोगरीब प्राकृतिक घटनाएं हो रही है. भारत और चीन के कई भागों में मूसलाधार बारिश हो रही है जिसकी वजह से आबादी वाले कई इलाकों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो गई है और लोगों का जीवन अस्त व्यस्त चल रहा है. अपने ठंडे मौसम के लिए प्रसिद्ध पश्चिम के देशों में जानलेवा गर्मी पड़ी जिसकी वजह से कई लोग मारे गए. यूरोप के कई देशों में बाढ़ और जंगलों में लगी आग ने तबाही मचा रखी है. ध्रुवीय इलाकों में बर्फ तेजी से पिघल रहा है जिसकी वजह से दुनिया के कई इलाकों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो गई है. आखिर ग्लोबल वार्मिंग है क्या? जो दुनिया भर के वैज्ञानिक इस समस्या पर अपनी चिंता जता रहे हैं? आइए जानते हैं
ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है धरती के तापमान में वृद्धि होना. ऊपरी तौर पर लोगों को यह लगता है कि अगर धरती का तापमान 1 या 2 डिग्री बढ़ जायेगा तो क्या हो जाएगा. लेकिन धरती का तापमान बढ़ना खतरे का संकेत होता है. जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा, जीवन जीने की परिस्थितियां उतनी ही कठिन होगी. आजकल असहनीय गर्मी पड़ती है. बिना पंखा और कूलर के हम बेचैन हो जाते हैं.
बारिश के मौसम में बेहिसाब बारिश होती है और सब कुछ अस्त व्यस्त सो जाता है. इसी तरह शरद ऋतु में काफी ठंड पड़ती है जिससे कई लोग मारे जाते हैं. दुनिया भर के देशों ने ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए एक समझौता (क्योटो प्रोटोकॉल) किया था जिस पर कोई भी काम नहीं हो रहा है. विश्व के सबसे विकसित देश अमेरिका ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अपना योगदान नहीं देना चाहता. अमेरिका की बेरुखी की वजह से ही अन्य देश इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं है.
औद्योगिक क्रांति के बाद मानव प्रजाति ने काफी विकास किया है. दुनिया भर की तेजी से बढ़ती हुई आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए इंसानों ने प्रकृति के साथ काफी छेड़छाड़ किया है. जंगल काटकर शहर बसाये गए हैं. जमीन के अंदर से काफी अधिक मात्रा में कोयला,खनिज,गैस और पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स निकाले जा रहे हैं. नदियों और जलाशयों का बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो रहा है.
इंसानों की हिम्मत अब इतनी बढ़ गई है कि वो जानवरों के प्राकृतिक निवास से भी छेड़छाड़ करने लगा है. इसलिए इन दिनों जानवरों और इंसानों में मुठभेड़ होने लगा है. शहरीकरण का रफ्तार इतना ज्यादा है कि पेयजल की कमी, प्रदूषण, हो हल्ला की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है. भारत में कई शहर खतरनाक स्तर के प्रदूषण के लिए बदनाम है जैसे दिल्ली और पटना. यह दोनों शहर इतने गंदे हैं कि यहां के निवासियों में कोई न कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पाई जाती हैं.
फिलहाल पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा कोरोनावायरस गंदगी का ही परिणाम है. इस वायरस के आने के बाद ही भारत के लोगों ने सफाई का महत्व समझा है. पहले की अपेक्षा अब लोग ज्यादा साफ-सुथरा रहने लगे हैं. वैज्ञानिकों के एक समूह ने चेतावनी दी है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पर काबू नहीं पाया गया तो अगले 100 साल मे दुनिया भर के विभिन्न इलाकों में काफी प्राकृतिक आपदाएं आएगी और करोड़ों लोगों का जीवन प्रभावित होगा. बहुत सारे लोगों को लगता है कि ग्लोबल वार्मिंग को रोकने की जिम्मेदारी केवल सरकारों की है. लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है. आम इंसान भी ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए अपना योगदान दे सकता है.
आज का इंसान आराम की जिंदगी जीना चाहता है. इसलिए ग्रीष्म ऋतु में घरों और ऑफिसों में 24 घंटे पंखे और AC चलते रहते हैं. हमें इस प्रवृत्ति पर रोक लगानी होगी. पंखे और AC का प्रयोग जहां तक हो सके सीमित करना चाहिए. पेट्रोल से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल भी समुचित रूप से करना चाहिए क्योंकि जितने ज्यादा गाड़िया चलेगी उतनी ज्यादा पोलूशन होंगी जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में अपना योगदान देता है. अगर संभव हो तो पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों के बजाय इलेक्ट्रिक वाहनो का उपयोग करना चाहिए. ऐसा होने पर प्रदूषण की मात्रा काफी कम हो जाएगी. हमें अपने जीवन में सार्वजनिक परिवहन के साधनों का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए. बहुत जरूरी होने पर ही निजी वाहन को सड़कों पर लाना चाहिए.
आजकल भारत के सभी बड़े महानगरों और शहरों में जाम की समस्या गंभीर होती जा रही है क्योंकि हर पैसे वाला सार्वजनिक परिवहन के साधनों को प्राथमिकता देने के बजाय कहीं भी जाने के लिए निजी वाहन का उपयोग ज्यादा करने लगा है. भारत में नरेंद्र मोदी की सरकार ने घरेलू महिलाओं को खाना बनाने के लिए लकड़ी से जलने वाले चूल्हे के बजाए गैस चूल्हे का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जिसकी वजह से पॉल्यूशन लेवल में काफी कमी आई है. आजकल लगभग हर घर में खाना बनाने के लिए कुकिंग गैस का इस्तेमाल होता है जिसमें बिल्कुल ही पोलूशन नहीं होता है.
अगर आज हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के प्रति सचेत नहीं हुए तो आने वाले वर्षों में हमें काफी सारे प्राकृतिक हादसों का सामना करना पड़ेगा. दुनिया के विभिन्न इलाकों में पड़ रही बेहिसाब गर्मी, बाढ़, भूकंप, मूसलाधार बारिश, भूस्खलन जैसी समस्याएं ग्लोबल वार्मिंग की चेतावनी दे रही है. विश्व के सभी राष्ट्रों को अपने मतभेद भुलाकर इस समस्या के समाधान के लिए ठोस उपाय करने ही होंगे. जब धरती रहेगा तभी विकास के कोई मायने रहेंगे. ध्यान रहे प्रकृति की शक्ति के आगे इंसान आज भी बौना है. आज तक इंसानों ने ऐसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं बनाई है जिससे प्रकृति को कंट्रोल किया जा सके. दुनिया के विभिन्न भागों में वृक्षारोपण को भी बढ़ावा देना पड़ेगा जो ग्लोबल वार्मिंग के असर को कम करने में काफी लाभदायक होता है. जय हिंद.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें