क्या मुंबई पुलिस एक अविश्वसनीय संस्था है?

महाराष्ट्र में जब से शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की मिली जुली सरकार सत्ता में आई है, तब से ही मुंबई पुलिस के कई अधिकारी विवादों के घेरे में है. फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमई मौत के मामले में लोग मुंबई पुलिस के कारनामे पर सवाल उठाते रहे हैं. आपको यह जानकर बड़ा आश्चर्य होगा कि बिना किसी जांच-पड़ताल के मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमवीर सिंह ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत को आत्महत्या घोषित कर दिया. उस मामले में विवाद बढ़ने पर मुंबई पुलिस की किरकिरी होने लगी थी. हम सभी ने देखा कि कैसे मुंबई पुलिस के अधिकारी महाराष्ट्र सरकार के निर्देश पर बिहार पुलिस की जांच में रोड़े अटकाये. फिलहाल सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच का मामला सीबीआई के हाथ में है. मुंबई पुलिस इन दिनों एक के बाद एक विवादों में घिरती जा रही है जिससे इसकी विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग रहे हैं.

दोस्तों किसी भी राज्य की पुलिस का काम होता है कानून व्यवस्था कायम रखना, अपराधियों को जेल हवा खिलाना, और दोषियों को अदालत से सजा दिलवाना. लेकिन भारत में पुलिस का रोल बिल्कुल अलग है. पुलिस वाले अपने आप को कानून से ऊपर समझते हैं और पब्लिक से बदतमीजी करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते. हमारे देश में पुलिस राजनेताओं के इशारे पर काम करती है. 

पुलिस विभाग में घूसखोरी और भ्रष्टाचार आम बात है. देश के कई आम नागरिक में शिकायत करते हैं कि पुलिस अधिकारी उनका एफ आई आर दर्ज करने में आनाकानी करते हैं. कई मामलों में पुलिस अपराधियों को पकड़ने के बजाय पीड़ित लोगों पर ही अत्याचार करती है और उन्हें न्याय से दूर रखने के लिए हर संभव प्रयास करती है. यही कारण है कि भारत की आम जनता पुलिस से दूरी बनाए रखने में ही अपनी भलाई समझती है. भारतीय लोगों द्वारा पुलिस अधिकारियों को अविश्वास की नजर से देखे जाने पर आपको कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

मुंबई में हाल के दिनों में हुई कई घटनाओं को देखने के बाद मैं निजी तौर पर मुंबई पुलिस और इसके अधिकारियों पर जरा भी यकीन नहीं करता. सुशांत सिंह राजपूत कि संभावित हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश करना, बिहार पुलिस की जांच में रोड़े अटकाना, सुशांत सिंह राजपूत मामले की रिपोर्टिंग करने पर रिपब्लिक टीवी के पत्रकारों और मालिकों को परेशान करने की कोशिश करना, फिल्म अभिनेत्री कंगना राणावत पर अटैक करना, सुशांत सिंह राजपूत के लिए न्याय की मांग करने वाले लोगों के ऊपर FIR करना और शिवसेना के नेताओं की आलोचना करने वालों को परेशान करना मुंबई पुलिस का काम हो गया है.

ऐसा पहली बार नहीं है कि मुंबई पुलिस की अकर्मण्यता पर सवाल उठ रहे हैं. बहुत पहले से यह कहा जा रहा था कि मुंबई पुलिस के कई अधिकारियों का माफियाओं के साथ गठबंधन है. तभी दाऊद इब्राहिम विदेशों में बैठकर मुंबई पर राज करता है. मुंबई पुलिस के बड़े अधिकारी राजनेताओं के निर्देश पर महाराष्ट्र के उद्योगपतियों और औद्योगिक घरानों से रंगदारी टैक्स वसूलते हैं और जो लोग उनकी गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाने की हिमाकत करते हैं उन्हें किसी मामले में फंसा कर जेल में डाल देने की धमकी दी जाती है. मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमवीर सिंह ने बताया था कि राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख उन्हें हर महीने 100 करोड़ की वसूली करने का आदेश दिया था. इस मामले का खुलासा होने पर काफी बवाल हुआ और मंत्री साहब की कुर्सी चली गई. अभी सीबीआई इस मामले की जांच में लगी है.

मुंबई पुलिस के एक अन्य पूर्व अधिकारी सचिन बाजे के कारनामे जानकर आप को चक्कर आ जाएंगे. नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी ने इन्हें मुंबई में एक उद्योगपति के घर के बाहर विस्फोटकों से भरी कार को पार्क करने के मामले में गिरफ्तार करके जेल भेजा. मामले की जांच के दौरान यह पता चला कि यह अधिकारी मुख्यतः शिवसेना का कार्यकर्ता है जो अपने आकाओं के निर्देश पर सारे काले कारनामों को अंजाम देता है. सचिन वाजे एनकाउंटर के नाम पर कई निर्दोष लोगों की हत्या कर चुका है. वह भ्रष्टाचार में भी लिप्त था. एनसीबी की जांच के दौरान यह पता चला कि महाराष्ट्र मे बड़े पैमाने पर ड्रग्स का कारोबार होता है. मुंबई पुलिस के सहयोग के बिना यह कैसे संभव है कि राज्य ड्रग्स कारोबारियों का अड्डा बन जाए?

सुशांत सिंह राजपूत की हत्या के जांच के मामले में मुंबई पुलिस का बर्ताव काफी निराशाजनक है. जो भी लोग सुशांत सिंह राजपूत के लिए न्याय की मांग करते हैं मुंबई पुलिस उन्हें परेशान करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती. प्रसिद्ध मॉडल और यूट्यूबर साहिल चौधरी को भी मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया क्योंकि वह सुशांत सिंह राजपूत के मामले में महाराज सरकार की थ्योरी की धज्जियां उड़ा रहा था. 

मैं निजी तौर पर मुंबई पुलिस और इसके अधिकारियों पर जरा भी विश्वास नहीं करता. इस भ्रष्ट संस्था को बंद करके नए लोगों की बहाली होनी चाहिए जो निष्पक्ष रूप से काम करते हो. अगर आप महाराष्ट्र मे रहते हैं तो कोशिश करें कि आपका पाला मुंबई पुलिस से ना पड़े. महाराष्ट्र की यात्रा करते समय आप सावधान रहें क्योंकि पता नहीं मुंबई पुलिस के अधिकारी आपको किस मामले में फंसा कर आपका एनकाउंटर कर दें. जय हिन्द. 


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