तेजी से बढ़ते हुए साइबर क्राइम और ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड से अपने आप को सुरक्षित कैसे रखें?

मित्रों,

भारत में टेलीकॉम कंपनी जियो के आने के बाद इंटरनेट काफी सस्ता हो गया है. यही कारण है कि आज देश में इंटरनेट का प्रयोग काफी तेजी से बढ़ता ही जा रहा है. इंटरनेट अब शहरी भारत से निकलकर ग्रामीण भारत तक पहुंच गया है. इंटरनेट और मोबाइल की जानकारी रखने वाले लगभग सभी लोग ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं. अपना बिजनेस बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए भारत के छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी दुकानदार और बिजनेस वर्ग के लोग ऑनलाइन पेमेंट स्वीकार करने लगे हैं. 

गूगल पे, अमेज़न पे, फ़ोन पे, PAYTM जैसे ऑनलाइन पेमेंट ऐप्स का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है. इन पेमेंट एप्स का उपयोग करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए हर बार अपने बैंक अकाउंट में लॉगिन नहीं करना पड़ता. बस आप अपने मोबाइल में इन एप्स को डाउनलोड करके एक्टिवेट करें और मोबाइल नंबर का उपयोग करके किसी को भी आसानी से पेमेंट कर सकते हैं. पेमेंट एप्स के उपयोग के बढ़ते चलन से हर समय कैश रखने की समस्या का समाधान हो गया है. ऑनलाइन पेमेंट सुरक्षित होता है और दुकानदारों को खुदरा रुपैया रखने की समस्या से निजात दिलाता है.

जैसे-जैसे ऑनलाइन पेमेंट का चलन बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे हर दिन नए तरीके के साइबर क्राइम मार्केट में आ रहे हैं. थोड़ी सी चूक से ही मेहनत से कमाया हुआ सारा पैसा एक झटके में गायब हो सकता है. हाल के दिनों में साइबर अपराध इतना ज्यादा बढ़ गया है कि देश के विभिन्न राज्यों में हजारों मुकदमे दर्ज हो रहे हैं. केवल चंद मामलों में ही पीड़ित व्यक्ति को न्याय मिल पाता है. क्या आधुनिक तकनीक और इंटरनेट के इस जमाने में अपनी जानकारी और पैसे को सुरक्षित रखना संभव है? हां है. आपको इंटरनेट उपयोग करते समय कुछ टिप्स फॉलो करने चाहिए.

  • कंप्यूटर या लैपटॉप पर इंटरनेट इस्तेमाल करते समय बरती जाने वाली सावधानियां 

अधिकांश कामकाजी प्रोफेशनल्स कंप्यूटर और लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं. इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में काम करने वाले वर्किंग प्रोफेशनल्स देश-दुनिया में बढ़ते साइबर क्राइम के खतरों के प्रति उदासीन रवैया रखते हैं. हर समय उन्हें यही लगता है कि बस वो और उनका डाटा सुरक्षित है. आपको यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि दुनिया भर के हैकर हर सुरक्षित सिस्टम की काट को ढूंढने का हर संभव प्रयास करते हैं. इसलिए सतर्कता में ही भलाई है.

भारत में अधिकांश कंपनी मालिकों की आदत यह है कि वो कंप्यूटर, इंटरनेट, ऑपरेटिंग सिस्टम, एंटीवायरस, फायरवॉल जैसे जरूरी सिस्टम पर अपना ज्यादा पैसा खर्च करना नहीं चाहते. इसलिए वह मार्केट से सेकंड हैंड सिस्टम उठाते हैं जो सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त नहीं होता. ऐसे सिस्टम से इंटरनेट का इस्तेमाल करते समय साइबर हमले होने का खतरा हमेशा बना रहता है. अगर आप एक ऐसे सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं जिसमें उच्च क्वालिटी का सॉफ्टवेयर नहीं डाला हुआ है तो आपके डेटा की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं. इसलिए कंपनी मालिकों को यह चाहिए कि वो उत्तम क्वालिटी के कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर, एंटीवायरस, और ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करें.

इसमें ज्यादा पैसा जरूर लगता है लेकिन सुरक्षा की गारंटी होती है. कंप्यूटर या लैपटॉप खरीदते समय इसके हर स्पेयर पार्ट्स की सिक्योरिटी फीचर का ख्याल रखें और केवल अच्छे पार्ट्स का ही चुनाव करें. अगर आपको कंप्यूटर या लैपटॉप के फीचर्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो किसी कंप्यूटर एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं. इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए आप किसी अच्छे ब्राउज़र को अपने सिस्टम में इनस्टॉल करें. गूगल क्रोम, Opera और फायरफॉक्स को अच्छा ब्राउज़र माना जाता है. 

जब आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, तो कई बार ये  ब्राउज़र आपको खतरनाक साइट्स के बारे में चेतावनी देते हैं. ऐसे साइट्स को आपको विजिट नहीं करना चाहिए. हो सकता है उसमें कोई वायरस हो जो साइट विजिट करने के बाद आपके कंप्यूटर मे अपने आप इंस्टॉल हो जाए और आपकी गोपनीय जानकारी को चुरा ले. समय-समय पर अपने कंप्यूटर और लैपटॉप को फॉर्मेट मार कर फिर से अच्छे सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करना चाहिए. इस प्रक्रिया में कंप्यूटर या लैपटॉप में जमा गंदगी साफ हो जाता है और सिस्टम फास्ट चलता है. सुरक्षा के लिहाज से भी यह स्टेप काफी जरूरी है. फॉर्मेट मारने पर आपके सिस्टम में मौजूद वायरस का नामोनिशान मिट जाता है. 

  • मोबाइल फ़ोन पर इंटरनेट इस्तेमाल करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां 

हम सभी जानते हैं कि लैपटॉप और कंप्यूटर रखने और इस्तेमाल करने में बहुत ज्यादा पैसा खर्च होता है. इसलिए भारत के करीब 90% लोग मोबाइल पर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि हम किसी भी लोकेशन से कभी भी मोबाइल फ़ोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. भारत में अधिकांश लोग इंटरनेट का इस्तेमाल ऑनलाइन सिनेमा, पोर्न वीडियो, विभिन्न चैनलों के लाइव टेलीकास्ट देखने के लिए करते हैं. इसके अलावा इंटरनेट का इस्तेमाल समाचार पढ़ने, सोशल मीडिया चलाने, पढ़ाई करने और ऑनलाइन बैंकिंग ट्रांजैक्शन के लिए होता है. 

मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेमाल करने के दौरान आपको काफी सावधान रहना चाहिए. कोशिश करें कि आप अच्छी कंपनी के मोबाइल फ़ोन का ही इस्तेमाल करें. अपने मोबाइल हैंडसेट दिए गए सारे जरुरी सुरक्षा फीचर्स का इस्तेमाल करें और किसी भी खतरनाक साइट को विजिट ना करें. समय-समय पर आपको अपने मोबाइल में इंस्टॉल किए गए एप्स को अपडेट करते रहना चाहिए. इस प्रक्रिया से आपके मोबाइल फ़ोन में मौजूद जानकारी सुरक्षित रहती है. अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल दूसरे को ना करने दें.

  • मोबाइल एप्स का इस्तेमाल करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

आजकल हर छोटी बड़ी कंपनी अपने बिजनेस के प्रमोशन के लिए एप्स का निर्माण करवाती है. एप्स का इस्तेमाल इंटरनेट ब्राउजिंग को आसान बनाता है. लेकिन मार्केट में बहुत सारे ऐसे भी एप्स है जिसका एक ही काम है आपके डाटा और संवेदनशील जानकारियों को चोरी करके आर्थिक फायदे कमाना. इसलिए आपको असुरक्षित स्रोतों से ऐप्स डाउनलोड करने से बचना चाहिए. गूगल प्ले पर लगभग सभी ऐप्स मौजूद है जो सुरक्षा के हर मानकों का पालन करते हैं. एप्स डाउनलोड करके एक्टिवेट करने के दौरान अब समय निकालकर टर्म्स एंड कंडीशन जरूर पढ़ें. इससे डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलती है. अगर कोई ऐप आपको संदिग्ध लगता हो तो उसे तुरंत डिलीट कर दें.

  • ई-मेल इस्तेमाल करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

सोशल मीडिया और इंस्टेंट मैसेजिंग एप्स के होने के बावजूद आज भी विश्व भर में करोड़ लोग ईमेल का इस्तेमाल करते हैं. ई-मेल के इस्तेमाल से जानकारियों के आदान-प्रदान में सुविधा होती है. आजकल साइबर क्रिमिनल बड़ी कंपनियों और प्रसिद्ध उद्योगपतियों का ईमेल हैक करके उनको करोड़ों अरबों का चूना लगा देते हैं. इसलिए ईमेल इस्तेमाल करते समय सावधान रहना बहुत जरूरी है. आप अपना ईमेल अकाउंट किसी भी ईमेल सर्विस पोर्टल बना सकते हैं. Gmail, Yahoo, hotmail, Yandex mail लोकप्रिय ईमेल सर्विस है. 

आप जब भी अपना ईमेल अकाउंट बनाएं, अपने ईमेल अकाउंट में एक मोबाइल नंबर और बैकअप ईमेल एड्रेस जरूर डालें. इसके बाद टू स्टेप वेरिफिकेशन को एक्टिवेट कर दें. ऐसा होने पर ईमेल अकाउंट काफी सुरक्षित हो जाता है. जब भी कोई इंसान नए जगह से आपके डिटेल्स का इस्तेमाल करके अगर आपकी ईमेल आईडी में लॉग इन करने की कोशिश करता है, तो आपको इसके बारे में इंस्टेंट नोटिफिकेशन मिलता है. लॉगइन कोड न मिलने की वजह से साइबर क्रिमिनल आपके अकाउंट में प्रवेश नहीं कर पाएगा और आपका डाटा सुरक्षित रहेगा. हमें ईमेल आईडी का पासवर्ड बदलते रहना चाहिए. 

आपको अपना पासवर्ड ऐसा रखना चाहिए कि कोई दूसरा व्यक्ति आसानी से आपके पासवर्ड मालूम ना कर सके. अगर संभव हो तो आप अपने पर्सनल लैपटॉप और कंप्यूटर का इस्तेमाल किसी को भी ना करने दें. बहुत सारे लोगों की आदत यह होती है कि वह अपने सोशल अकाउंट और ईमेल को ब्राउज़र में खुला ही छोड़ देते हैं. अगर किसी व्यक्ति को आपका लैपटॉप और कंप्यूटर मिल जाता है तो वह आसानी से आपका ईमेल आईडी और सोशल अकाउंट हैक कर सकता है. 

अपने कंप्यूटर और लैपटॉप फॉर ई-मेल और सोशल साइट्स का इस्तेमाल करने के बाद लॉग आउट कर दें. यह सुनिश्चित करें कि कोई भी ब्राउज़र आपके किसी भी अकाउंट का पासवर्ड अपने डेटाबेस में सेव ना कर पाए. आपको अपने ईमेल अकाउंट समय-समय पर साफ करते रहना चाहिए. ईमेल में मौजूद कचरा साफ हो जाता है साइबर अटैक का खतरा काफी हद तक समाप्त हो जाता है. किसी भी अनजान ईमेल पर क्लिक ना करें. बहुत सारे लोग करोड़ रुपए के इनाम पाने के लालच में ठगे जाते हैं. 

  • अगर संभव हो तो डार्क नेट का इस्तेमाल ना करें

भारत में बहुत सारी वेबसाइट प्रतिबंधित है. प्रतिबंधित वेबसाइट को विजिट करने के लिए बहुत सारे लोग डार्क नेट का इस्तेमाल करते हैं जो खतरों से भरा होता है. डार्क नेट इंटरनेट की एक ऐसी दुनिया है जिसे साधारण ब्राउज़र से एक्सेस नहीं किया जा सकता. डार्क नेट का इस्तेमाल करने के लिए वीपीएन और स्पेशल ब्राउज़र की जरूरत पड़ती है. डार्क नेट पर ही इंटरनेट की दुनिया के सारे काले कारनामे होते हैं. इसलिए डार्क नेट का इस्तेमाल ना करने में ही भलाई है. अगर आप डार्क नेट का इस्तेमाल करना भी चाहते हैं तो आप केवल उसी साइट को विजिट करें जिसके बाद में आपको जानकारी है.

  • कंप्यूटर या लैपटॉप पर इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

इंटरनेट बैंकिंग से पैसों के लेनदेन में काफी आसानी होती है. इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करके आप ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं, अपने मकान मालिक का रूम रेंट दे सकते हैं, बिजली और पानी का बिल भर सकते हैं. इंटरनेट बैंकिंग के बढ़ते चलन के साथ-साथ ऑनलाइन फाइनेंसियल क्राइम भी बढ़ते जा रहा है. इसलिए कंप्यूटर और लैपटॉप फॉर इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते समय आप यह ध्यान में रखें कि आप बैंकों के अधिकृत साइट का ही इस्तेमाल कर रहे हैं. 

नकली साइट्स में अपनी डिटेल्स डालने पर डाटा चोरी और साइबरक्राइम का खतरा बढ़ जाता है. इंटरनेट बैंकिंग हमेशा प्राइवेट मोड में करें और पैसा लेन देन करने के बाद अपने अकाउंट से लॉग आउट हो जाए. किसी भी साइबर कैफे में अपने बैंक अकाउंट को ना खोलें क्योंकि अपने खतरा बहुत ज्यादा है. बहुत सारे लोग बैंक अकाउंट यूज करने के बाद ब्राउज़र में अपने अकाउंट को खुला ही छोड़ देते हैं. साइबर क्रिमिनल ऐसे अकाउंट को आसानी से हैक कर सकते हैं. जब भी आप अपने बैंक अकाउंट का उपयोग करें तो यह सुनिश्चित करें कि अपने काम हो जाने के बाद बैंक अकाउंट से लॉग आउट हो गए हैं. समय-समय पर लॉगइन डीटेल्स में परिवर्तन करते रहना चाहिए.

  • मोबाइल सेट पर इंटरनेट बैंकिंग करते समय बरती जाने वाली सावधानियां 

आजकल लगभग हर बैंक का मोबाइल ऐप है. आप अपने बैंक का मोबाइल एप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करके ऑनलाइन लेनदेन कर सकते हैं. ऐप का इस्तेमाल करने से पैसों के लेनदेन में आसानी रहती है और अपने सभी लेनदेन का रिकॉर्ड रख सकते हैं. ऐप का इस्तेमाल करने के बाद लॉगआउट का बटन दबाना बहुत जरूरी है. समय-समय पर ऐप को अपडेट करते रहना चाहिए. आप अपने निजी मोबाइल सेट का इस्तेमाल किसी को भी ना करने दें चाहे वह आपका कितना ही करीबी क्यों ना हो. मोबाइल हैंडसेट मे लॉक का होना बहुत जरूरी है. यह आपके डिजिटल पैसे की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं. अगर आप लंबी दूरी की यात्रा कर रहे हो तो अपने मोबाइल से सभी बैंकिंग एंड मोबाइल पेमेंट एप्स को डिलीट कर दें. लंबी दूरी के सफर के दौरान मोबाइल चोरी होने या लुटे जाने का खतरा बहुत होता है. 

  • अपने ओटीपी किसी के साथ शेयर ना करें

कई बार ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने के दौरान बैंक आपकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी पर वन टाइम पासवर्ड भेजते हैं. किसी भी सूरत में किसी भी व्यक्ति के साथ वन टाइम पासवर्ड शेयर नहीं करना चाहिए. ऐसा होने पर आर्थिक नुकसान होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है.

  • ऑनलाइन केवाईसी जैसी कोई चीज नहीं होती

कई मौके पर बैंक अकाउंट के केवाईसी के नाम पर कई लोगों से ठगी की घटनाएं हो चुकी है. दुख की बात यह है कि ईकेवाईसी के नाम पर पढ़े लिखे लोगों को भी ठगा जा चुका है. आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि ईकेवाईसी नाम कोई चीज नहीं होती. बैंक अपनी तरफ से अपने कस्टमर से कोई भी बैंकिंग जानकारी की मांग नहीं करता है. आप अपने बैंक की नजदीकी शाखा में जाकर अपने अकाउंट की केवाईसी करवा सकते हैं. आजकल शॉर्ट मैसेज सिस्टम का चलन है. बैंक आपके अकाउंट के साथ हो रही घटना का विवरण तुरंत ही शॉर्ट मैसेज सर्विस के जरिए दे देते हैं. इसलिए अगली बार जब कोई भी अपने आप को बैंक अधिकारी बताकर आपके अकाउंट की केवाईसी करने के लिए के बैंकिंग डिटेल्स की जानकारी मांगे तो आप सावधान हो जाये. 

  • पेमेंट एप्स के इस्तेमाल के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां

भारत में करोड़ों लोग ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए बैंक अकाउंट का इस्तेमाल नहीं करते हैं. इसके बदले वह पेमेंट एप्स का इस्तेमाल करके पेमेंट करते हैं. आप यह सुनिश्चित करें कि एप्स के सभी फीचर्स की जानकारी आपको है. अगर बैंकिंग ऐप्स की समुचित जानकारी नहीं है तो किसी भी पढ़े लिखे व्यक्ति से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. बैंकिंग एप्स के इस्तेमाल की जानकारी गूगल से भी प्राप्त किया जा सकता है. 

पेमेंट एप्स के संबंधित सारी गोपनीय जानकारी को सुरक्षित रखने जिम्मेदारी आपकी है. समय-समय पर अपने पासवर्ड को बदलते रहे. QR कोड स्कैन करते समय डेबिट और क्रेडिट जैसे शब्दों के मतलब को ध्यान में रखें. डेबिट का मतलब होता है आपके अकाउंट से पैसा कटेगा. क्रेडिट का मतलब होता है आपके अकाउंट में पैसा आएगा. अगर कोई इंसान आपको क्यू आर कोड के जरिए इनाम मिलने की बात करता है तो आप सावधान हो जाएं. पेमेंट एप्स के जरिए ठगी करने वाले लोग अनजान लोगों को डेबिट लिंक पर प्रोसेस करने के लिए बोलते हैं जिससे लोगों का पैसा कट कर ठगों के अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है.

  • अपना डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड स्वाइप करते समय सावधानी बरतें

आजकल डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के शुरू होने वाले साइबर क्राइम काफी आम हो चुके हैं. बहुत सारे लोग शॉप, मॉल, रेस्टोरेंट्स, होटल और अन्य जगहों पर सुविधाओं के पेमेंट के लिए कार्ड स्वाइप स्वाइप का इस्तेमाल करते हैं. अगर आप भी पेमेंट के लिए कार्ड स्वाइप का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि साइबर क्रिमिनल एक छोटी सी मशीन का इस्तेमाल करके आपके कार्ड की सारी डिटेल्स कैप्चर करके डुप्लीकेट कार्ड बनाकर आपके अकाउंट का सारा पैसा साफ कर सकते हैं. आप कार्ड स्वाइप के बजाय ऑनलाइन पेमेंट एप्स के जरिए सुविधाओं का भुगतान करें. यह तरीका काफी सुरक्षित होता है. अगर आपको कार्ड स्वाइप ही करना है तो सुनिश्चित करें कि कार्ड स्वाइप करने वाला इंसान या कंपनी विश्वसनीय हैं.

  • फ्री में मिलने वाले बड़े रकम के लालच में ना रहे

पैसा हर इंसान की जरूरत होती है लेकिन आपको यह ध्यान में रखना चाहिए कि पैसे कमाने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी होती है. दुनिया में कोई भी इंसान आपको मुफ्त में करोड़ों और अरबों रुपए देने के लिए बैठा हुआ नहीं है. फिर भी ना जाने क्यों बहुत सारे पढ़े और अनपढ़ गवार लोग इनाम के रूप मे बड़ी रकम पाने की लालच में आसानी से आ जाते हैं और साइबर क्रिमिनल्स को अपनी सारी गोपनीय बैंकिंग डीटेल्स शेयर कर देते हैं. ठगी करने वाले इंसान प्रोसेसिंग फी के नाम पर आप से लाखों रुपए ठग लेते हैं. अंत में जब आपको मुफ्त में करोड़ों रुपए नहीं मिलते हैं तो आपको ठगी का अहसास होता है. पैसा गवाने  से अच्छा है पहले ही सावधान रहें. फ्री में मिल रहे पैसों का विज्ञापन करने वाले ईमेल या कॉल्स के प्रति सावधान रहें.


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