भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लगा अल्पसंख्यक तुष्टीकरण का चस्का, कार्यकर्ताओं और समर्थकों में बढ़ा रोष

2014 से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी के सितारे आसमान पर है. पार्टी पिछले करीब 7 सालों से केंद्र की सत्ता पर काबिज है. देश के कई राज्यों में बीजेपी की सरकार है. देश के वर्तमान प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का आलम यह है कि अगर कोई भी नेता, अभिनेता, या अन्य लोकप्रिय व्यक्ति अगर बीजेपी, देश या प्रधानमंत्री के बारे में अनर्गल बयानबाजी करता है तो देश के आम लोग और सोशल मीडिया यूजर्स उस इंसान की अच्छी तरीके से मजम्मत करते हैं. केंद्र में पूर्ण बहुमत से बीजेपी की सरकार है. 

अपने कुशल राजनीतिक नेतृत्व की वजह से केंद्र सरकार ने कश्मीर से धारा 370 को हटाया, तीन तलाक को समाप्त किया, पाकिस्तान और चीन की गुंडागर्दी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, और देश दुनिया की नजर में भारत की छवि एक मजबूत राष्ट्र की बनी. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, राजद, अकाली दल, तनमूल कांग्रेस, सपा, बसपा जैसे अल्पसंख्यक तुष्टिकरण करने वाले राजनीतिक दलों के होते हुए देश के हिंदुओं के पास बीजेपी ही एकमात्र विकल्प बचता है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश के हिंदुओं का विश्वास अभी तक बना हुआ है. लगातार चुनाव जीतने की वजह से ऐसा लगता है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को अपनी चुनावी कुशलता पर घमंड हो गया है. आज के इस लेख में मैं आपको बीजेपी की कमियों के बारे में बताऊंगा. यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि देश के हिंदुओं को बीजेपी के विकल्प की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए.

2014 मे चुनाव जीतने के बाद देश की केंद्रीय सरकार ने एक के बाद एक अच्छे निर्णय लिए हैं. यही कारण है कि भारत में लोगों के रहने लायक अच्छा माहौल बन पाया है. लेकिन जैसे जैसे कोई दल लगातार सत्ता में रहने लगता है, निगरानी और जिम्मेदारी के अभाव में उस दल के नेता गलत काम में लग जाते हैं. आजकल बीजेपी के साथ यही हो रहा है. बीजेपी मूल रूप से हिंदुओं की पार्टी है. यह पार्टी सत्ता में आने के लिए हिंदू वोटरों पर निर्भर करती है. हिंदुओं द्वारा दिए गए एकमुश्त वोट की वजह से हैं बीजेपी केंद्र और देश के विभिन्न राज्यों की सत्ता में राज कर रही है. आश्चर्य यह है कि हिंदुओं के वोट से जीतने के बावजूद बीजेपी हिंदुओं के लिए कुछ खास नहीं कर पा रही है.

जब भी कोई सरकार पूर्ण बहुमत में होती है तो उसकी हनक उसके निर्णय में दिखती है. लेकिन पूर्ण बहुमत होते हुए भी बीजेपी सरकारी दबाव में काम करती है. हम सभी जानते हैं कि 60 सालों तक देश पर राज करने के दौरान कांग्रेस ने देश की लगभग हर संस्था में अपने चमचों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया है. ऐसा कोई संस्थान नहीं जिसमें कांग्रेस से सहानुभूति रखने वाले लोग ना हो. देश की मीडिया भी उन्हीं में से एक है. 

भारतीय मीडिया में बहुत सारे चैनल और पत्रकार कांग्रेस के अनुदान पर काम करते हैं. ऐसे चैनलों और मीडिया कर्मियों का एक ही लगता है कि बीजेपी को बदनाम करने के लिए किसी भी न्यूज़ को तोड़ मरोड़ कर बीजेपी के राजनेताओं को बदनाम किया जाए. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इन्ही झंडू पत्रकारों की पक्षपातपूर्ण पत्रकारिता से डरते हैं. सत्ता में इतने सालों तक रहने के बावजूद देश को कैसे चलाया जाता है यह बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को नहीं पता.

आपको ये बाते पसंद नहीं होंगी लेकिन भारतीय जनता पार्टी हिंदु हितैसी दल नहीं है. यह दल केवल सत्ता प्राप्ति के लिए हिन्दुओं का इस्तेमाल करती है. सत्ता मिलने पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण मे ये कांग्रेस से भी आगे है. जो हरा समुदाय इनसे नफरत करता है उनके लिए इनके नेता मरे जा रहे हैं. पूर्ण बहुमत होने के बाबजूद केरल, बंगाल, और देश के अन्य राज्यों मे इनके कार्यकर्ता कुत्ते की मौत मारे जाते है और इनका नपुंसक नेतृत्व कुछ नहीं कर पाता और केवल विरोध करने का नाटक करता है. बीजेपी सरकारों द्वारा हरे टिड्डो के लिए कई योजनाए चलाई जा रही है. लेकिन हिन्दुओं के मुद्दे जैसे गोहत्या पर रोक, लव जिहाद पर रोकथाम, इस्लामिक गुंडागर्दी को रोकना इत्यादि पर कोई काम नहीं किया जा रहा है. देश के अन्य जरुरी मुद्दे जैसे जनसंख्या नियंत्रण, यूनिफार्म सिविल लॉ पर काम करने मे इनकी फट रही है.

बीजेपी के एक नेता अश्विनी उपध्याय और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने देश से अंग्रेजो के ज़माने के निरर्थक कानूनों को रद्द करने और अन्य जरुरी मांगो के समर्थन मे दिल्ली मे धरना प्रदर्शन किया जिसमे 40 हजार लोग शामिल हुए. इस विरोध प्रदर्शन से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की हवा टाइट हो गई. गृह मंत्रालय से ग्रीन सिग्नल मिलने पर दिल्ली पुलिस ने इस आंदोलन को कुचल दिया. अश्विनी उपाध्याय और उनके अन्य साथियों को गैर जरूरी आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों का कहना था कि इस धरना प्रदर्शन के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि शाहीन बाग में नौटंकी करने, दिल्ली में दंगे करने और पिछले 8 महीने से किसान आंदोलन के नाम पर गुंडागर्दी करने के लिए किन लोगों ने उनसे पूर्व अनुमति लिया था. अश्विनी उपाध्याय और उनके साथियों की गिरफ्तारी के बाद यह धरना प्रदर्शन अब बंद हो गया है. देश की केंद्रीय सरकार इस आंदोलन को कुचलने में सफल हो गई है. अब अश्विनी उपध्याय को ज़मानत मिल गई है.

जरुरी मांग करने पर वामपंथीयों के दवाव मे आकर अपने ही नेता को गिरफ्तार करवाना और उसे जेल मे डालना बीजेपी नेतृत्व की मूर्खता है. धरातल पर आम कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी और अमित शाह की मूर्खतापूर्ण नीतियों से नाराज है. शाहीन बाग़ की नौटंकी, दिल्ली दंगे और पिछले 8 महीने से किसान आंदोलन के नाम पर चल रही गुंडागर्दी को रोकने मे बीजेपी प्रशासित केंद्र सरकार नाकाम रही है. ऐसा लगता है 56 इंच का सीना 6 इंच का हो गया है. अगर तुम पूर्ण बहुमत रख के भी अपनी सत्ता की हनक कायम न रख सकते तो तुम्हे राज करने आता ही नहीं है. इस देश के हिन्दुओं को भारतीय जनता पार्टी के विकल्प की व्यवस्था की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. आपको यह जानकर बड़ा आश्चर्य होगा की हरे टिड्डो को एक खरोच भी आने पर 24 घंटे लगातार भौकने वाली इंडियन मीडिया एक हिंदु साधु पर हुए जानलेवा हमले पर चुप है. यही कारण है की मै इंडियन मीडिया के बिकाऊ पत्रकारों और चैनलो की रिपोर्टिंग पर जरा भी यकीन नहीं करता. 


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