कोरोना की वजह से बढ़ी बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई ने जिंदगी में आग लगाई

2020 में चीन से पूरी दुनिया में फैला वैश्विक महामारी कोरोना का कहर अभी तक कम नहीं हुआ है. दुनिया भर की सरकारों के लाख प्रयास के बावजूद यह बीमारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, ब्राजील, पाकिस्तान और अन्य देशों में कोरोना वायरस के नये मामले बड़ी तेजी से सामने आ रहे हैं. दिन प्रतिदिन हालात खराब होते जा रहे हैं. तालाबंदी से ऊब चुके लोगों के लिए यह एक बुरी खबर है. विश्व के कई देशों में सरकार द्वारा लगाए गए तालाबंदी के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं. दुनियाभर में करोड़ों लोगों को कोरोना रोधी टीका लगाया जा चुका है. फिर भी यह महामारी बढ़ते ही जा रही है.

जब से पूरी दुनिया में कोरोनावायरस फैला है, बहुत सारे उद्योग धंधे बंद हो गए हैं. परिणामस्वरूप दुनिया भर में करोड़ों लोग बेकार बैठे हुए हैं. उनके पास कोई काम नहीं है और उनकी मासिक आमदनी नहीं हो पा रही है. देश दुनिया के कई हिस्सों में तालाबंदी हटने के बाद भी बिजनेस का लेवल पहले जैसा नहीं है क्योंकि लोगों के पास मासिक आमदनी नहीं है. करोड़ों बेरोजगार लोग सरकार से मिलने वाले आर्थिक अनुदान और अन्य सुविधाओं के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं. 

भारत में काम से निकाले गए लोग महानगरों को छोड़कर गांव में आकर बैठ गए हैं और अपने रिश्तेदारों की सहायता से किसी तरीके से अपना जीवन चला रहे हैं. देश के सभी बड़े महानगरों में मंदी अपने चरम सीमा पर है. जो लोग किसी तरीके से अपनी नौकरी बचाने में कामयाब हो गए हैं उन्हें अब ज्यादा काम के बदले में कम सैलरी मिल रही है. वैकल्पिक रोजगार के मौके उपलब्ध ना होने के कारण सभी लोग अपने अपने जॉब से चिपके हुए हैं और हर दिन जीत तोड़ मेहनत कर रहे हैं.

जब भारत में पहली बार लॉकडाउन लगा था, उस समय मैं दिल्ली में था. तालाबंदी होने के कुछ ही दिनों बाद मुझे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. उस समय मेरे साथ साथ करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए थे और सरकार की तरफ से कोई आर्थिक अनुदान ना मिलने की वजह से बड़े ही बुरे हालात में अपने अपने घरों की तरफ निकल गए थे. दिक्कत यह थी कि सरकार ने कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए यातायात के सारे साधनों का परिचालन बंद कर दिया था. लंबी दूरी की कठिन यात्रा के दौरान कई बेसहारे लोग मारे गए. फिर भी हमें यह जानकर संतोष होना चाहिए कि केंद्र सरकार के कड़े कदमों की वजह से ही भारत में कोरोनावायरस में विकराल रूप नहीं लिया नहीं तो इस देश की आबादी जितनी बड़ी है इतने में तो लाशों के ढेर लग जाते.

2020 में नौकरी से निकाले जाने के बाद मुझे यह ज्ञान प्राप्त हुआ की पैसों की बचत करना कितनी जरूरी है. आप चाहे किसी भी शहर में रहे आपके पास हमेशा 5 या 6 महीने के खर्चे लायक जरुरी पैसा हमेशा उपलब्ध होना चाहिए. रिजर्व कैश होने पर ही आप आत्मविश्वास से  कठिन परिस्थितियों का सामना कर पाएंगे और आपको किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. 2020 में अपने आप को कोरोनावायरस से बचाने के लिए मैं पूरे 3 महीने कमरे में बंद रहा. इस दौरान मुझे काफी परेशानी हुई लेकिन सुकून की बात यह है कि मैं कोरोनावायरस की चपेट में नहीं आया. जैसे ही ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ मैं दिल्ली से बिहार आ गया और तब से ही अपने गृह राज्य बिहार में रह रहा हूं.

भारत में कोरोना वायरस के पहले लहर के दौरान यह  सरकारी निर्देश था कि अगर कोई किराएदार नौकरी छूटने की वजह से या बिजनेस ना चलने के कारण किराया देने में असमर्थ है तो उसे तंग ना किया जाए. लेकिन आपको यह जानकर बड़ा आश्चर्य होगा कि देशभर के लगभग सभी मकान मालिकों ने अपने किरायेदारों का एक भी रुपया माफ नहीं किया भले ही उनके किरायेदारों की जिंदगी में आग लगी हो. उस दिन ही मुझे यह पता चला कि मकान मालिक बड़े ही निष्ठुर होते हैं. करोड़ों रुपए होने के बावजूद पैसों के लिए उनका बढ़ता लालच बड़ा ही लाजवाब है.

शुरू शुरू में जब कोरोनावायरस का पूरी दुनिया में प्रसार हुआ था तो यह लग रहा था कि जल्दी यह बीमारी हमारी जिंदगी से दूर चला जाएगा और हम लोग एक आम जिंदगी जी सकेंगे. लेकिन आज 2 साल होने को है और इस बीमारी के मामले बढ़ते ही जा रहा है. पूरे देश में स्कूल और कॉलेज बंद है जिसकी वजह से शिक्षा से जुड़े हुए लोगों में निराशा का माहौल है. प्राइवेट शिक्षकों की आमदनी नहीं हो पा रही है. इसलिए देश के करोड़ों प्राइवेट शिक्षकों और उनके परिवारों की हालत बहुत ही बुरी है. लगभग यही हाल मजदूर वर्ग के लोगों का है. 

कोरोनावायरस के संक्रमित होने के डर से महानगरों से लौटे हुए करोड़ों लोग आज भी गांव में ही जमे हुए हैं. यही कारण है कि लोगों का बिजनेस ठीक से नहीं चल रहा है. गांव में बेरोजगारी का आलम इतना ज्यादा है कि बहुत सारे लोग अपने दैनिक जरूरतों को भी पूरा करने के लिए कर्ज उठाने को मजबूर है. समाज का लगभग हर तबका कोरोनावायरस की हुई तबाही से प्रभावित हुआ है और उनके जीवन में अब काफी बदलाव आ गया है. लोगों ने अपने गैर जरूरी खर्चों को कम कर दिया है. वीकेंड पर होटल में खाना, फैमिली मेंबर और फ्रेंड्स के साथ टूरिस्ट डेस्टिनेशन घूमने जाना, दैनिक पकवान में विभिन्न व्यंजनों का इस्तेमाल करना, इत्यादि काफी कम हो गया है क्योंकि लोगों के पास पैसे ही नहीं है.

इस कठिन समय में एक अन्य समस्या भी लोगों का दिमाग खराब कर रही है. इन दिनों आश्चर्यजनक रूप से लगभग हर जरुरी चीजों का दाम बढ़ रहा है जिससे मेहनतकश लोगों का मासिक बजट बिगड़ गया है. पेट्रोल ₹100 के ऊपर चल रहा है. सरसों तेल, सब्जी, दलहन, दूध और अन्य खाद्य पदार्थों के दामों में काफी उछाल आया है. पहले मैं लगभग हर रोज सब्जी लेने के लिए पेठिया जाता था लेकिन जब से हरी सब्जियों का दाम बढ़ गया है तब से हाट जाना काफी कम कर दिया है. अब मैं केवल आलू और प्याज लेने के लिए ही महीने में दो या तीन बार हाट जाता हूँ. सब्जी की व्यवस्था के लिए मैंने किराने की दुकान से चना, छोले, सोयाबीन जैसे चलाऊ चीजों को खरीद कर रख दिया है. इससे कम खर्चे में मेरा काम चल जाता है और मेहनत से कमाए हुए पैसों की बचत होती है.

दोस्तों हमारे जीवन में जब भी कोई आपदा आती है तो हमें कोई ना कोई सबक जरूर मिलता है. कोरोनावायरस की महामारी के दौरान हमने यह देखा कि सारी भौतिक सुविधाओं के बावजूद बहुत सारे लोग दुर्भाग्य से वायरस की चपेट में आकर मर गए और कई लोग लोग बेसहारा हो गए. इस कठिन समय के दौरान भी समाज के लालची लोगों ने लाभ कमाने के अपने लालच को नहीं छोड़ा. 

कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान हमने देखा था कि बहुत सारे प्राइवेट हॉस्पिटल्स और लालची डॉक्टरों ने इलाज के नाम पर जरूरतमंद मरीजों के रिश्तेदारों से पैसे ठगे और मेडिकल सुविधा की डिमांड कर रहे हैं लोगों के साथ बदतमीजी की. इसी तरह, एंबुलेंस सर्विस वालों ने मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और लाशों को ढोने के लिए अपने फीस को काफी बढ़ा दिया जिससे कई मरीज स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाए या कंगाल हो गए. 

आज के समाज में संकट के समय लोगों की मदद करने के बजाय उनके बुरे समय का नाजायज फायदा उठाने की प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है. जब कोई इंसान अपने मेहनत के दम पर तरक्की करता है और भौतिक सुख-सुविधाओं का जुगाड़ करता है तो उसके अपने सगे संबंधी और पड़ोसी उससे जलने लगते हैं और उसकी बर्बादी के लिए हर संभव उपाय करने में कोई चूक नहीं करते. कोरोनावायरस की महामारी ने मुझे यह सबक दिया है कि संकट होने पर आपके अपने सगे संबंधी दिन आपका हाल चाल नहीं पूछते. इसलिए आपका यह कर्तव्य है कि जिंदगी की हर परिस्थितियों में जीने के लिए अपने आपको तैयार करें. 

कोरोनावायरस की महामारी से हमें यह भी सबक मिला कि हम भारतीय कानून को तोड़ने में ज्यादा यकीन रखते हैं. समाज के एक बहुत बड़े वर्ग ने मेडिकल प्रोफेशनल्स और सरकार के दिशा निर्देशों के बावजूद कोरोनावायरस से संबंधित गाइडलाइंस का पालन नहीं किया जिसकी वजह से भारत में यह महामारी काफी बढ़ गई. 

मेरा निजी तौर पर यह मानना है कि कोरोनावायरस और इससे होने वाली तबाही से जल्दी छुटकारा नहीं मिलने वाला है. इसलिए बुद्धिमानी इसी में है कि हम सभी लोग अपने आपके जीवन में काफी बदलाव लाये ताकि हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और सरकार को इस बीमारी को दूर करने में मदद मिल सके और हम सभी एक बार फिर से सामान्य रूप से जीवन यापन कर सकें. जब देश के सभी लोग सरकार की मदद करेंगे तभी यह बीमारी काबू में आ पाएगी. नहीं तो जैसे जैसे देश में कोरोनावायरस का प्रकोप बढ़ेगा वैसे वैसे देश में बेरोजगारी और महंगाई की समस्या बढ़ती ही जाएगी जिससे आम जिंदगी जीने वाले 75% भारतीय प्रभावित होंगे. 



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